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राजस्थान के इस शहर में 19 सालों से अटका सीवरेज का काम, 1192 करोड़ खर्च के बाद भी प्रोजेक्ट अधूरा

Rajsthan News : कोटा में सीवरेज परियोजना का कार्य पूरा होने का नाम ही नहीं ले रहा है। कभी-कभी काम चला, तो कभी-कभी बंद हो गया, जिससे वर्षों तक काम नहीं हुआ। नतीजतन, 19 वर्षों में शहर के केवल 61% क्षेत्र में लाइनें लगाई जा सकीं।

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राजस्थान के इस शहर में 19 सालों से अटका सीवरेज का काम, 1192 करोड़ खर्च के बाद भी प्रोजेक्ट अधूरा

Kota News : लोगों की सुख सुविधा और सहूलियत के लिए सरकार काम करती रहती है। राजस्थान के कोटा शहर में पिछले 19 सालों से केवल 61 फीसदी सीवरेज लाइन डाली गई है। 2005 में कोटा में सीवरेज सिस्टम का निर्माण शुरू हुआ था। 2008 तक चला तब 72 किलोमीटर की लाइन डाली जानी थी, लेकिन 42 किलोमीटर ही डाली जा सकी। 

इसके बाद, परियोजना आठ वर्षों तक ठंडे बस्ते में रही। 2016 में एक बार फिर सर्वे हुआ और 1482 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट बनाया गया। 2018 में काम दो साल बाद शुरू किया जा सका। आरयूआईडीपी और यूआईटी को इस बार एक संस्था बनाया गया। दोनों एजेंसियों ने घरों से सीवरेज लाइनें जोड़ने का काम लगभग पूरा नहीं किया है।

आठ सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट

शहर से निकलने वाले सीवर को साफ करने के लिए योजना में आठ सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए हैं। ये प्लांट बन गए हैं, लेकिन अभी भी पूरी तरह से काम नहीं कर रहे हैं। इन 8 एसटीपी की क्षमता 138 एमएलडी है, लेकिन ये 80 एमएलडी की क्षमता पर काम कर रहे हैं। एसटीपी और सीवरेज लाइन का काम पूरा हो गया है। काम पूरा हो गया है। अभी तक 41900 कनेक्शन दे दिए गए हैं। बाकी कनेक्शन जल्द हो जायेगें।  उत्तर नगर निगम अभी शेष जगह पर लाइन डाल रहा है।

शेष 39% काम के लिए चाहिए 300 करोड़

शहर के कई इलाके में लाइन भी नहीं है। इसके बाद अमृत-2 योजना में उत्तर नगर निगम को एजेंसी बनाया। ह प्रोजेक्ट 273 करोड़ रुपए का है। इसमें अब तक 75 लोमीटर लाइनें डल चुकी हैं। कुल 739 किलोमीटर से अधिक लाइनें डाली जा चुकी हैं और 158 एमएलडी के 8 एसटीपी प्लांट बन गए, बावजूद इसके शहर का 39 प्रतिशत एरिया वंचित है, जिसके लिए 300 करोड़ रुपए की और जरूरत बताई जा रही है। इधर, जो लाइनें वर्ष 2013 में ही नगर निगम को सुपुर्द कर दी, वे ठीक से नहीं चल रहीं। आए दिन दिक्कत आती है। 

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