Property Registry: जमीन खरीदते समय रखें इन 4 बातों का ख्याल, वरना लग जाएगी लाखों की चपत

Property Registry : जमीन लेना बहुत बड़ा काम है। भूमि खरीदना एक व्यक्ति के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। क्योंकि हर कोई जमीन खरीदकर घर बनाना चाहता है। जब आप जमीन खरीदते हैं, तो पहला काम उसकी रजिस्ट्री कराना होता है। जमीन लेते समय बहुत पढ़ा लिखा है। जब आप सभी जमीन के ट्रम्स को नहीं जानते, तो आपको नुकसान भी हो सकता है। लेकिन खर्च कम करने के चार तरीके हैं। जमीन की रजिस्ट्री करते समय हमें ये चार बातें ध्यान में रखनी चाहिए।
जब आप जमीन खरीदते हैं, आप बहुत सारे दस्तावेज देखते हैं। वहीं जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए भारी शुल्क देना पड़ता है। रजिस्ट्रेशन शुल्क 5 से 7 प्रतिशत तक होता है, जो संपत्ति का मूल्य है। मान लो, कोई 50 लाख रुपये की संपत्ति खरीदना चाहता है। इसलिए इसका रजिस्ट्रेशन करना मुश्किल होगा। इसके लिए लाखों रुपये खर्च होंगे।
यदि आप रजिस्ट्री पर लाखों रुपये खर्च करते हैं, तो आप भी इसी में से लाखों रुपये बच सकते हैं। रजिस्ट्री में पैसे बच जाएंगे तो हमारे काम में आ जाएंगे। इससे घर का निर्माण कराया जा सकता है या फिर इसे किसी भी काम में ले सकते हैं, इसलिए हमें अपनी संपत्ति की रजिस्ट्री कराने के लिए ये चार तरीके जानने चाहिए।
रजिस्ट्री में रुपये बचाने का पहला तरीका
जब किसी संपत्ति का सर्किल रेट अधिक होता है, तो उस संपत्ति की मार्केट वैल्यू कम होती है, क्योंकि सर्किल रेट अधिक होता है, तो स्टांप ड्यूटी भी अधिक लगती है, लेकिन मार्केट वैल्यू पर स्टांप ड्यूटी तैयार करना कम खर्च करेगा।
इसमें रजिस्ट्रार से या फिर सब रजिस्ट्रार से अपील की जा सकती है। इससे स्टांप ड्यूटी पर लागत कम हो सकती है। राज्य स्टांप एक्ट में ये प्रावधान हैं। इसके तहत, स्टांप ड्यूटी को बाजार मूल्य पर निर्धारित करने के लिए रजिस्ट्रार को अपील की जाएगी, तो सेल डीड तब तक पेंडिंग रहेगी जब तक रजिस्ट्रेशन नहीं होता। DC इसे देखता है।
रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार इसे ट्रांसफर करता है। डीसी ऑफिस मार्केट वैल्यू का आंकलन करता है। इस तरीके से आप जमीन खरीदते समय स्टांप ड्यूटी से बच सकते हैं।
प्रोपर्टी रजिस्ट्री में पैसे बचाने का दूसरा तरीका
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बिना बंटवारे वाली जमीन की रजिस्ट्री की सुविधा भविष्य में बनने वाले निर्माण या फिर निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में मिलती है। ऐसे मामले में जमीन खरीदने वाला बिल्डर से दो तरह के एग्रीमेंट बनाता है। इसमें पहला सेल एग्रीमेंट तो दूसरा कंस्ट्रक्शन एग्रीमेंट होता है। प्रॉपर्टी के अनडिवाइडेड शेयर के लिए सेल एग्रीमेंट किया जाता है। इसका मतलब साझा क्षेत्र में खरीदार का शेयर। सेल एग्रीमेंट में प्रोपर्टी की कीमत व इसपर बनने वाले निर्माण की कीमत शामिल होती है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भविष्य में बनने वाले या अभी चल रहे निर्माणों में बंटवारे की जमीन की रजिस्ट्री की सुविधा मिलती है। जमीन खरीदने वाला व्यक्ति दो प्रकार के समझौते करता है: सेल एग्रीमेंट पहले होता है, फिर कंस्ट्रक्शन एग्रीमेंट। प्रॉपर्टी में अनलिमिटेड शेयरों के लिए सेल एग्रीमेंट होता है। यह साझा क्षेत्र में एक खरीदार है। सेल एग्रीमेंट में माल और निर्माण दोनों का खर्च शामिल है।
तीसरा तरीके से रुपये बचने के ज्यादा चांस
स्टांप ड्यूटी से महिलाओं को कई राज्यों में छुट मिली है। प्रॉपर्टी खरीदना चाहे मैं या एक व्यक्ति करूँ। स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क में छूट मिलेगी जहां भी महिला शामिल होंगी। हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में महिलाओं को छूट है।
उदाहरण के लिए, दिल्ली में पुरुषों की रजिस्ट्री पर छह प्रतिशत और महिलाओं की रजिस्ट्री पर चार प्रतिशत की फीस लगती है। एक करोड़ रुपये की संपत्ति पर सीधे दो प्रतिशत की भारी छूट मिलती है। इतना ही नहीं, रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन पर होने वाले खर्च में वर्ष में ज्यादा से ज्यादा 1.5 लाख रुपये टैक्स की बचत कर सकते हैं।
चौथा तरीका आपकी लोकेशन पर करता है निर्भर
राज्य जमीन खरीद-फरोख्त करते हैं। जमीन की रजिस्ट्री पर कमाई भी राज्य सरकार को मिलती है। राज्यों का कानून अलग है। जब भी आप जमीन खरीदते हैं, तो रजिस्ट्री से पहले जिस राज्य में आप जमीन खरीद रहे हैं, उसका स्टांप एक्ट अवश्य पढ़ें। राज्य सरकार ने कई बार रजिस्ट्रेशन शुल्क को कम कर दिया है। इस छुट के दौरान रजिस्ट्री करने से आपको पैसे बचेंगे।
यह भी जान लें
बहुत से राज्यों में जमीन को अपने ब्लड रिलेशन में देने पर स्टांप ड्यूटी नहीं लगती। महाराष्ट्र, पंजाब और उत्तर प्रदेश ऐसे राज्य हैं। यहां हम इस कानून का लाभ उठाकर अपनों से संपत्ति ले सकते हैं। इससे रजिस्ट्रेशन शुल्क बचाया जा सकता है।