जयगढ़ के किले में रही यह तोप, जिसे फायर करने पर इतने किलोमीटर दूर जाकर गिरा!
जयगढ़ के किले में दो तोपें रखी गई हैं, एक का नाम है "जयबाण तोप" और दूसरी तोप का नाम है "बजरंग-बाण तोप"। "जयबाण तोप" वह है, जिसकी कई कहानियाँ प्रसिद्ध हैं और इसे दुनिया की सबसे बड़ी तोप माना जाता है। यह तोप पहियों पर रखी गई है और इसे डूंगर गेट पर स्थित किया गया है।
Jaigarh Jaivana Cannon: अब हर देश की सेना के पास काफी आधुनिक हथियार होते हैं, जिनमें आप टारगेट सेट करके कई किलोमीटर दूर तक आक्रमण कर सकते हैं। लेकिन, राजा-महाराजाओं के समय में युद्ध के मैदान में भी दुश्मन का नाश करना होता था। लेकिन, भारत में एक ऐसी तोप भी है, जिसके द्वारा युद्ध के मैदान में बैठे दुश्मन को नहीं बल्कि 35 किलोमीटर दूर बैठे दुश्मन को भी मारा जा सकता है। जी हाँ, इस तोप से जब फायर किया जाता था, तो इसका गोला 35 किलोमीटर दूर जाकर गिरता था। तो जानते हैं, यह तोप कहां है और इस तोप की क्या खासियत है...
कहां है यह तोप?
जिस तोप की हम बात कर रहे हैं, वह जयपुर के जयगढ़ किले में रखी गई है। जयगढ़ के किले को 'विजय का किला' भी कहा जाता है। अगर गढ़ के बारे में संक्षिप्त में बताएं तो यह एक विशाल किला है, जिसे कछवाहा राजपूत शासकों ने बनवाया था और यह आमेर किले से 400 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह किला आमेर किले की सुरक्षा प्रदान करता था, जो इससे कुछ ही दूरी पर है। जयगढ़ का किला "चील के टीला" पर स्थित है, जो अरावली पर्वतों का एक हिस्सा है।
क्या है जयबाण की कहानी...
जयगढ़ के किले में दो तोपें रखी गई हैं, एक का नाम है "जयबाण तोप" और दूसरी तोप का नाम है "बजरंग-बाण तोप"। "जयबाण तोप" वह है, जिसकी कई कहानियाँ प्रसिद्ध हैं और इसे दुनिया की सबसे बड़ी तोप माना जाता है। यह तोप पहियों पर रखी गई है और इसे डूंगर गेट पर स्थित किया गया है। सरकारी वेबसाइट के अनुसार, इसे राजा जय सिंह द्वितीय के आदेश पर बनवाया गया था और इसका एक बार इस्तेमाल किया गया था। यह टेस्ट इतना खतरनाक था कि इसके बाद इसका यूज नहीं किया गया।
सरकारी डेटा के हिसाब से, तोप के टेस्ट के लिए 100 किलोग्राम बारूद और 50 किलोग्राम लोहे का इस्तेमाल किया गया था, और इसके गोला का दूरी तक पहुंचने का क्षमता 35 किलोमीटर था। इसके परिणामस्वरूप, उस जगह पर एक गहरा गड्ढा बन गया था, जिसे बाद में बारिश के पानी से भर गया। इस तोप की नली लोहे से बनाई गई है, जिसके कारण यह भारी है। इसके साथ ही किले में कुछ तलवारों के साथ 50 किलोग्राम वजन वाले एक तोप का गोला भी रखा गया है, जिसे आप जयगढ़ में देख सकते हैं।
अभी हाल ही में तोप की सुरक्षा के लिए इसके ऊपर एक टिन की छत बनाई गई है। अगर आप कभी जयगढ़ जाते हैं तो इसके प्रवेश द्वार पर एक बोर्ड लगा है, जिसमें इसके इतिहास और उपयोग के बारे में लिखा हुआ है। इसके अलावा, एक दूसरे तोप का नाम "बजरंग-बाण तोप" है, जिसका निर्माण 1691 में ढलाईखाने में हुआ था। युद्ध के दौरान, इस तोप को 32 बैलों द्वारा रणभूमि तक पहुंचाया गया था। तोप की नली लोहे से बनाई गई है, जिसके कारण यह काफी भारी है। आप इसे जयगढ़ में देख सकते हैं।
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