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UP का यह आयुर्वेद कॉलेज वरदान है रोगियों के लिए, यहां आकर बदल जाती है किस्मत

लखनऊ के जानकीपुरम निवासी 49 वर्षीया ममता श्रीवास्तव दोनो घुटनों में दर्द से वह खुद से एक कदम नहीं चल पाती थी। एक साल तक नियमित प्रार्थना और आयुर्वेद इलाज से उन्हें 90 प्रतिशत फायदा हुआ है। अब वह खुद से सीढ़ियां चढ़ और उतर लेती हैं।

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UP का यह आयुर्वेद कॉलेज वरदान है रोगियों के लिए

UP News: लखनऊ के टुडियागंज स्थित राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के गठिया रोग विभाग ने इलाज के साथ प्रार्थना और योग से गठिया के मरीजों को बड़ी राहत दी है। डॉक्टरों का दावा है कि इससे 85 गठिया मरीजों का दर्द घटा है। जो मरीज ओपीडी में व्हील चेयर व छड़ी और किसी का सहारा लेकर आते थे। अब चलकर आ रहे हैं। राजकीय आयुर्वेद कालेज के इस शोध को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। नीदरलैंड के प्रतिष्ठित जर्नल ने शोध को प्रकाशित किया है।

राजाजी के 64 वर्षीय सुनील कुमार दोनों घुटनों में दर्द और सूजन से पीड़ित थे। चार माह के उपचार से 750 प्रतिशत से अधिक लाभ है। अब उन्हें उठने बैठने में परेशानी नहीं हैं।

लखनऊ के जानकीपुरम निवासी 49 वर्षीया ममता श्रीवास्तव दोनो घुटनों में दर्द से वह खुद से एक कदम नहीं चल पाती थी। एक साल तक नियमित प्रार्थना और आयुर्वेद इलाज से उन्हें 90 प्रतिशत फायदा हुआ है। अब वह खुद से सीढ़ियां चढ़ और उतर लेती हैं।

अपने धर्म से जुड़ी प्रार्थना कर रहे मरीज गठिया केंद्र के प्रमुख डॉ. संजीव रस्तोगी ने बताया कि 18 माह पहले रोजाना ओपीडी में प्रार्थना की शुरुआत की। करीब पांच मिनट ॐ का जाप, सांस और मौन की क्रिया सभी मरीजों पर लागू किया गया। मरीज अपने धर्म के आधार पर प्रार्थना करते हैं, साथ में योग के कुछ आसान और आयुर्वेद की दवाएं दी गईं। इससे मरीजों में आये सकारात्मक बदलाव आए हैं। राजकीय आयुर्वेद कालेज के गठिया विभाग की प्रार्थना सभा की अनूठी पहल में ओपीडी के करीब 80 मरीज शामिल होते हैं।

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यह शोध राजकीय आयुर्वेद कालेज के गठिया केंद्र के निदेशक डॉ. संजीव रस्तोगी के निर्देशन में हुआ है। डॉ. किरण मौर्य और शोध छात्र, पैरा मेडिकल स्टाफ एवं इंटर्न छात्र छात्राएं शामिल हैं। शोध में 85 मरीज के अलावा 49 डॉक्टर और स्वास्थ कर्मी को शामिल किया गया है। यह मरीज हिंदू, मुस्लिम और ईसाई हैं।

लखीमपुर खीरी निवासी 81 वर्षीय कलावती कंधे, कमर और घुटने के दर्द से पीड़ित थीं। उन्हें व्हील चेयर के सहारे चलना पड़ता था। ढाई माह के उपचार और प्रार्थना से उन्हें 70 प्रतिशत तक आराम है। अब वो बिना व्हील चेयर के छड़ी के सहारे चल लेती हैं।

जीने की उम्मीद जगी प्रार्थना सभा से शोध में शामिल सभी 85 रोगियों में सकारात्मक बदलाव आए हैं। इनमें बीमारी के प्रति मन और दिमाग में बैठा डर और तनाव दूर हुआ है। सभी को दर्द से राहत मिली। इनमें 80 मरीजों ने बीमारी के प्रति सकारात्मक विचार और रोग के ठीक हो जाने के प्रति भरोसा जताया। अन्यों में आगे ठीक होने की उम्मीद जगी। वे अच्छा महसूस कर रहे हैं। गठिया केंद्र द्वारा 18 माह के इलाज के दौरान मरीजों ने सवाल जवाब में खुद को पहले से बेहतर बताया है। उन्हें जीने की आस जगी है।

डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों में आया बदलाव प्रार्थना सभा में शामिल होने से उन्हें अपने मरीजों के साथ दृढ़ संबंध महसूस हुआ है। उनकी प्रार्थना सभा में सक्रिय भागीदारी उनके रोगियों के लिए एक मानसिक सहारा का कार्य कर रही है। उन्हें यह विश्वास है कि शारीरिक और मानसिक संतुलन से अच्छे नतीजे प्राप्त किए जा सकते हैं। वे अपने मरीजों के साथ प्राथना कर रहे हैं और इससे विश्वास को मजबूत कर रहे हैं।

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