Indian : 1337 किलोमीटर का ये रेल कॉरिडोर बदल देगा देश की तस्वीर, बसाए जाएंगे कई शहर, इंडस्ट्री का होगा डेवलेपमेंट
Indian Railway : देश में कई नए एक्सप्रेसवे, इकोनॉमिक जोन तैयार हुए है। इसी कड़ी में अब भारत में 1337 किमी का एक ऐसा कॉरिडोर तैयार हो गया है, जो ना सिर्फ देश की तस्वीर बदलेगा, बल्कि इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार को भी कई गुना बढ़ा देगा.
Saral Kisan : मोदी सरकार में देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने पर बहुत काम हुआ है. देश में कई नए एक्सप्रेसवे, इकोनॉमिक जोन तैयार हुए हैं. अब भारत में 1337 किमी का एक ऐसा कॉरिडोर तैयार हो गया है, जो ना सिर्फ देश की तस्वीर बदलेगा, बल्कि इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार को भी कई गुना बढ़ा देगा. इतना ही नहीं इस कॉरिडोर की वजह से देश में नए इंडस्ट्रियल हब बनेंगे, नए शहर बसेंगे और लोगों के लिए ढेर सारे रोजगार पैदा होंगे.
यहां बात हो रही है ‘डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर’ (DFC) की, जो देश की दो प्रमुख पोर्ट सिटी मुंबई और कोलकाता को दिल्ली-पंजाब जैसे इलाकों से जोड़ने वाला काम करने वाला है. इसका एक हिस्सा ईस्ट डीएफसी यानी पश्चिम बंगाल से पंजाब तक का स्पेशल मालगाड़ी रेलवे गलियारा अब चालू हो चुका है. पिछले महीने ही इसके एक सेक्शन पर ट्रायल रन किया गया, जिसके बाद 1337 किलोमीटर का ये कॉरिडोर ऑपरेशनल हो गया है.
क्या है डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC)?
बेहद साधारण भाषा में समझें, तो देश में अभी एक ही रेलवे ट्रैक पैसेंजर और माल दोनों तरह की रेलगाड़ी दौड़ती हैं. यात्रियों को समय से पहुंचाने के लिए अभी देश में मालगाड़ियों को रोक कर पहले पैसेंजर ट्रेन को पास किया जाता है. इस वजह से मालगाड़ी टाइम से माल की डिलीवरी नहीं कर पाती. इसलिए कंपनियां और खरीदार सभी ट्रकों से सामान की लदाई को तरजीह देते हैं. अब डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर में सरकार ने अलग से पटरियां बिछाई हैं जिस पर सिर्फ मालगाड़ी दौड़ेंगी, वो भी टाइम टेबल के हिसाब से.
इसके वैसे तो कई साइड इफेक्ट फायदे हैं, लेकिन सबसे बड़ा फायदा है लॉजिस्टिक यानी मालभाड़े की लागत को कम करना. सड़क के मुकाबले ट्रेन से माल लदाई निश्चित तौर सस्ती पड़ती है, क्योंकि ये डीजल के बजाय इलेक्ट्रिसिटी से चलती है. साथ ही ट्रक के मुकाबले मालगाड़ी एक बार में ज्यादा सामान लोड करके ले जा सकती है.
डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर के फायदे
अभी देश में सिर्फ ईस्ट डीएफसी ही तैयार हुआ है. जब मुंबई से नोएडा वाला वेस्ट डीएफसी तैयार हो जाएगा, तो ये देश की इकोनॉमी को रियल बूम देगा. लेकिन ईस्ट डीएफसी का भी कम फायदा नहीं है. ये देश की बिजली जरूरतों को पूरा करने में बहुत काम आने वाला है. इसकी वजह इस कॉरिडोर का एक बड़ा हिस्सा इंडिया के ‘कोल जोन’ से जाता है. ईटी की खबर के मुताबिक इससे पूर्वी राज्यों में कोयले की खदान से उत्तरी राज्यों में बिजली प्लांट तक कोयला पहुंचाना सस्ता और आसान हो जाएगा. वहीं कई तरह के और फायदे होंगे.
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक ये देश की लॉजिस्टिक कॉस्ट को कम करेगा. अभी ये देश की जीडीपी के 13 से 15 प्रतिशत के बराबर है, जो डीएफसी की वजह से घटकर 8% रह जाएगी.
ईस्ट डीएफसी और सड़क से माल लदाई की तुलना करेंगे, तो ईस्ट डीएफसी हर किलोमीटर के हिसाब से सड़क से 72 ट्रक कम करेगी. इससे हाईवे और शहरों की सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा.
ईस्ट डीएफसी ट्रकों को कम करेगा, तो निश्चित तौर पर ये वायु प्रदूषण और भारत के कार्बन उत्सर्जन में भी कमी लाएगा. ये भारत के पेट्रोलियम उपयोग को भह नीचे लाने में काम आएगा, जिसका ज्यादातर हिस्सा आयात से आता है.
ईस्ट ईडीएफसी जिन इलाकों से होकर गुजरेगा और जहां उसके स्टेशन सेंटर्स डेवलप होंगे, वहां पर नए इंडस्ट्रियल हब डेवलप होंगे.
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