Railway Knowledge :- रेल पटरियों पर क्यों लगे होते हैं ये एल्युमिनियम बॉक्स, जानिये इनका काम
Saral Kisan : भारतीय रेलवे (Indian Railway) दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. दुर्घटनाएं रोकने के लिए रेलवे व्यक्तियों और तकनीक का सहारा लेता है. साथ ही इनकी मदद से ट्रेन की निगरानी की जाती है. सुरक्षा और निगरानी के लिए कई उपकरण भी ट्रेन के अंदर, पटरियों पर और ट्रैक के किनारे लगाए जाते हैं. ट्रेन में सफर करते हुए आपने भी पटरियों के किनारे एल्युमिनियम बॉक्स जरूर देखा होगा. कुछ लोग इस बॉक्स को इलेक्ट्रिक बॉक्स समझते हैं. लेकिन, असल में यह इलेक्ट्रिक बॉक्स नहीं है. यह एक्सल काउंटर बॉक्स (Axle Counter Box) है. इसे हम रेलवे की आंख भी कह सकते हैं. एल्युमिनियम का यह डिब्बा ट्रेन के डिब्बों की गिनती करता है और साथ ही यह भी बताता रहता है कि ट्रेन किसी दिशा में जा रही है और कितनी स्पीड से दौड़ रही है.
एक्सल काउंटर बॉक्स दुर्घटना रोकने में बहुत सहायता करता है. इन्हें हर तीन से पांच किलोमीटर की दूरी पर लगाया जाता है. इन बॉक्स के अंदर एक स्टोरेज़ डिवाइस लगी होती है, जो सीधे ट्रेन की पटरियों से जुड़ी होती है. जब भी ट्रेन गुज़रती है तो पटरियों के किनारे लगे बॉक्स ट्रेन के एक्सल (दो पहियों के जोड़कर रखने वाला रॉड) को गिन लेते हैं, जिससे ये पता लग सके कि जितने एक्सल के साथ ट्रेन स्टेशन से निकली थी अभी भी उसमें उतने ही एक्सल है या नहीं.
डिब्बा छूटते ही कर देगा है रेड सिग्नल
एक्सल काउंटर बॉक्स पटरियों पर लगी एक तार से कनेक्ट होता है. जब ट्रेन वहां से निकलती है तो वह एक्सल को गिन लेता है. इससे यह गिनती होती रहती है कि 5 किलोमीटर पहले इस ट्रेन में जितने पहिए थे उतने पहिए पांच किलोमीटर बाद भी रहे. अगर किसी दुर्घटनावश गाड़ी के पीछे के कोच मुख्य ट्रेन से अलग हो जाएं तो उस स्थिति में ये यह सूचना अगले बॉक्स को दे देता है. अगला बॉक्स यह सूचना पाते ही सिग्नल रेड कर देता और ट्रेन रुक जाती है. साथ ही नजदीकी रेलवे स्टेशन को भी यह बता देता है कि ट्रेन के कोच छूट गए हैं.
जांच पड़ताल में आसानी
ट्रेन के कुछ कोच अलग हो जाते हैं तो Axle Counter Box की मदद से यह पता लगाना भी आसान हो जाता है कि वे किस जगह पर छूटे हैं. इससे उन्हें खोजने और जांच-पड़ताल में मदद मिलती है. एक्सल काउंटर बॉक्स ट्रेन की स्पीड और ट्रेन की दिशा को भी रिकॉर्ड करता है.
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