Income Tax की रडार पर हैं उत्तर प्रदेश के इन शहरों के लोग, भेजे जा रहे नोटिस
Saral Kisan : दुबई में एक कानपुरी महिला कारोबार करती है। राष्ट्रीय पते पर एक बड़े बैंक में एनआरआई खाता है। सालभर में खाते में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ। आयकर विभाग को तुरंत सूचना दी गई, जिसके बाद नोटिस भेजा गया।
केस दो
आगरा के एक व्यक्ति ने अपने एनआरआई खाते में सालभर में सात करोड़ रुपये डाले. वह एक बड़ी ऑस्ट्रेलियाई कंपनी में काम करता है। एक साल में इतनी बड़ी रकम के लेनदेन की जानकारी बैंक ने आयकर अधिकारियों को दी थी।
उपरोक्त मामले बताते हैं कि लोग विदेश में सात समंदर दूर बैठकर करोड़ों की कमाई कर रहे हैं, लेकिन कुछ नहीं बता रहे हैं। बैंकों ने भी माथा ठनका जब उनके एनआरआई खाते में सिर्फ एक वर्ष में करोड़ों का लेनदेन हुआ। आयकर विभाग को इसकी सूचना देने में कोई देरी नहीं हुई। अफसरों के कान खड़े हो गए जब विभाग ने भी जांच की। अब नोटिस भेजा गया है और रकम का विवरण मांगा गया है। कड़ी कार्रवाई की तैयारी भी है।
केस कानपुर ही नहीं, आगरा, मेरठ, नोएडा और देहरादून में भी हुए हैं
सालभर में कानपुर ही नहीं बल्कि दूसरे शहरों में भी एनआरआई खाते के जरिए करोड़ों का लेनदेन होता है। अबतक की जांच में आयकर अधिकारियों को आगरा, मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, मुरादाबाद और देहरादून में करीब 650 से अधिक शिकायतें मिल चुकी हैं। कई को नोटिस भेजा गया है, जबकि अन्य को भेजना अभी भी जारी है। अब तक कानपुर में ही 55 एनआरआई को नोटिस दिए गए हैं। संख्या अभी भी बढ़ी हुई है।
दूसरे देशों में काम और कारोबार करने के लिए एक रडार पर
आयकर विभाग के रडार पर आने वाले अधिकांश लोग विदेशी कारोबार करते हैं। कई बड़ी कंपनियों में सालों से काम कर रहे हैं। आयकर विभाग ने उन लोगों को नोटिस लोकल पते के साथ ईमेल के माध्यम से भेजा है। खाते में जमा करोड़ों रुपये का विवरण देने को कहा है।
तीन बार चेतावनी देंगे और फिर शिकंजा कसेंगे
सूत्रों का कहना है कि आयकर विभाग संबंधित व्यक्ति को तीन बार रकम का जरिया जानने के लिए नोटिस देगा। आठ-आठ दिन के अंतराल में यह सूचना दी जाएगी। शिकंजा कसा जाएगा अगर इसके बाद भी हिसाब नहीं दिया गया या संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। मामलों को जांच इकाई भेजा जाएगा।
नोटिस को नकारते हुए
विदेशों में बैठकर करोड़ों के वारे-न्यारे करने वाले नोटिस मिलने पर भी विरोध जता रहे हैं। कई लोगों ने अधिकारियों से खुद फोन करके भी संपर्क किया या अपने वकील के माध्यम से। जवाब मांगने पर बैंक ने आखिरकार डिटेल क्यों दी? दबाव में लेने की भी पूरी कोशिश की।
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