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इस हाईवे के नीचे से दौड़ेगी लाइट व इंटरनेट, 10 हजार किलोमीटर सड़क होगी हाईटेक, इन राज्यों से होकर गुजरेगी

Digital Highway : NHAI देश में 10 हजार किलोमीटर लंबा डिजिटल हाईवे बनाने जा रही है। एक रिपोर्ट में पता चला है कि हाईवे के नीचे लाइट और इंटरनेट दौड़ेगा।
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Light and internet will run under the highway, 10 thousand kilometers of road will be hi-tech, will pass through these states

Saral Kisan : राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) देश में 10,000 किलोमीटर लंबा डिजिटल हाईवे बनाएगा. डिजिटल हाईवे बनाने की शुरुआत के लिए दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे और हैदराबाद-बेंगलुरु कॉरिडोर को चुना गया है.

एनएचआई ने पूरे देश में 10,000 किलोमीटर सड़क पर ऑप्टिक फाइबर केबल बिछाने का लक्ष्य रखा है. यह काम 2025 तक पूरा होना है. अब, आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि एक डिजिटल हाईवे होता क्या है?

इस तरह के सवालों का जवाब आज आपको यहां मिलेगा. पहले बात की आखिर डिजिटल हाईवे कहते किसे हैं. डिजिटल हाईवे या सड़कें ऐसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स होते हैं जो टेक्नोलॉजी, डाटा और कनेक्टिविटी का इस्तेमाल रणनीतिक रोड नेटवर्क को बेहतर करने के लिए करते हैं.

इसमें डिजाइन, कंस्ट्रक्शन, ऑपरेशन और उसके इस्तेमाल को बेहतर बनाया जाता है. इससे सुरक्षित यात्रा, तेज डिलीवरी और सड़क पर यात्रा का बेहतर अनुभव मिलता है।

कैसे बनेगा डिजिटल हाईवे

डिजिटल हाईवे बनाने का काम ऑप्टिकल फाइबर केबल्स (OFC) के जरिए किया जाएगा. चुने गए एक्सप्रेसवे व हाईवे के साथ-साथ इन तारों को बिछाया जाएगा. इससे वहां के आसपास के इलाकों में भी इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ेगी. ऑप्टिकल फाइबर में ऐसी ट्यूब होती हैं जिनमें ग्लास व प्लास्टिक की छोटी-छोटी तारें होती हैं.

इनके जरिए लाइट के माध्यम से आम तारों के मुकाबले तेजी से सूचनाओं को भेजा जा सकता है. इसे नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड द्वारा बनाया जाएगा. यह कंपनी NHAI की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई है।

कहां बनेगा डिजिटल हाईवे

पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसके लिए दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर 1367 किलोमीटर और हैदराबाद बेंगलुरु कॉरिडोर पर 512 किलोमीटर रास्ते को चुना गया है. इससे दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक व तेलंगाना के दूर-दराज इलाकों तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाने में मदद मिलेगी.

NHAI का प्लान संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य के साथ मेल खाता है. इसमें 2030 तक सभी को सुक्षित, अफोर्डेबल, एक्सेसिबल और सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट सिस्टम मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है।

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