Jaipur : तेज रफ्तार लो-फ्लोर बस ने बाइक सवार दंपती और डेढ़ साल के बेटे को मारी टक्कर, पत्नी की मौत
Rajasthan Jaipur News : राजधानी में तेज रफ्तार लो-फ्लोर बसें लोगों की मौत का कारण बन रही हैं। बसों के रखरखाव के अभाव में आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं। खोनागोरियां गोनेर रोड पर पारस ट्रैवल्स कंपनी की तेज रफ्तार लो-फ्लोर बस ने बाइक सवार दंपती और उनके डेढ़ साल के बेटे को टक्कर मार दी, जिससे तीनों सड़क पर गिर गए। महिला का सिर बस के पिछले टायर के नीचे आने से मौके पर ही मौत हो गई। पति और डेढ़ साल का बेटा घायल हो गए।
हादसे के बाद चालक ने बस भगाने का प्रयास किया तो मौके पर मौजूद लोगों ने उसे पकड़ लिया और उसकी पिटाई कर दी। सूचना मिलने पर खोनागोरियां थाना पुलिस मौके पर पहुंची और चालक को हिरासत में ले लिया। मामले के अनुसार मृतका रिजवाना (28) की दोपहर गोनेर रोड स्थित बाबाजी गेट स्थित अपने घर पर हादसे में मौत हो गई।
वह अपने पति निसार आलम (32) और डेढ़ साल के बेटे अलसफा के साथ दोपहर एक बजे बाइक से घर जा रही थी। गोनेर से वाटिका जा रही लो-फ्लोर बस की चपेट में आने से तीनों गिर गए और रिजवाना का सिर बस के पिछले टायर के नीचे आ गया। हादसे के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने चालक मुकेश को हिरासत में ले लिया। रिजवाना के शव को एसएमएस अस्पताल ले जाया गया। हादसे में बच्ची अलसफा का पैर और निसार का सिर फ्रेक्चर हो गया। दोनों को एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया। निसार वेल्डिंग का काम करता है।
ट्रिप कम करने पर ड्राइवर का वेतन कटता है
समय पर मेंटेनेंस नहीं होने से आए दिन लो फ्लोर बसों से सड़क हादसे हो रहे हैं। इसके बावजूद जेसीटीएसएल के अधिकारी और बसों का संचालन करने वाली कंपनी बेखबर है। कंपनी ने ड्राइवर को ट्रिप का टारगेट दे रखा है। एक भी ट्रिप छूट जाए तो वेतन कट जाता है, लेकिन बस दुर्घटनाग्रस्त हो जाए तो कंपनी का भुगतान नहीं कटता। दुर्घटना होने पर भुगतान में कटौती होती है तो कंपनी बसों का समय पर रखरखाव करेगी।
बता दें कि पांच दिन पहले भी स्टेयरिंग फेल होने से पारस ट्रैवल्स कंपनी की बसों ने टनल में बाइक सवार को टक्कर मार दी थी। वहीं, मंगलवार को सड़क हादसे का कारण बनी बस गोनेर से वाटिका जा रही थी, जो भी पारस ट्रैवल्स कंपनी की है, जबकि पारस ट्रैवल्स कंपनी को हर माह 4 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा रहा है। इसके बाद भी बसों का रखरखाव नहीं किया जा रहा है। रखरखाव न करने पर अधिकारी कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं कर रहे हैं। अधिकारियों को बार-बार दुर्घटना कराने वाली कंपनी के खिलाफ टेंडर निरस्त करने का प्रस्ताव सरकार को भेजना चाहिए।