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बंपर कमाई के साथ-साथ गेहूं की इन किस्मों से कट जाते हैं शुगर-बीपी जैसे रोग

खान-पान की गड़बड़ी और रासायनिक खाद, बीज से होने वाले मधुमेह और हृदय रोग से लोग पीड़ित हैं। इसलिए बिहार सरकार कृषि विभाग पारंपरिक फसलों को बढ़ावा देगा।
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Along with bumper earnings, diseases like sugar and BP are cured by these varieties of wheat.

Saral Kisan : खान-पान की गड़बड़ी और रासायनिक खाद, बीज से होने वाले मधुमेह और हृदय रोग से लोग पीड़ित हैं। इसलिए बिहार सरकार कृषि विभाग पारंपरिक फसलों को बढ़ावा देगा।

इन पुरानी प्रजातियों के गेहूं की खेती

रबी मौसम में गेहूं की पारंपरिक किस्मों (वंशी, टिपुआ गेहूं और सोना-मोती) को बढ़ावा देने का कार्यक्रम बनाया गया है। गेहूं की पारंपरिक किस्में रोग प्रतिरोधी हैं।

ये गेहूं की किस्में मौसम के अनुकूल हैं

इन तीनों किस्मों को जैविक तरीके से खेती की जाएगी। ये किस्में उच्च उत्पादकता और कम अवधि वाली हैं। जलवायु परिवर्तनों को सहन करते हैं। ये किस्में समय के साथ स्थानीय वातावरण और पर्यावरण के अनुकूल हो जाएंगे। इसकी लागत कम है।

अधिक रोग प्रतिरोधी क्षमता

जैविक उपचारों और जीवाणुओं के बिना सुरक्षित रूप से उगाई जा सकती है। इसलिए किसानों को भी फायदा होगा। गेहूं की अन्य किस्मों की तुलना में तीनों किस्मों में रोग प्रतिरोधी क्षमता अधिक है।  कम समय में अधिक उत्पादन: फाइबर, विटामिन, मिनरल्स और प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। पारंपरिक किस्में अधिक उत्पादन देती हैं और कम समय में पकती हैं। इसलिए किसानों को भी फायदा होगा।

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