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Ajab Gajab : शादी से पहले इस गांव में लड़के के साथ रहती है लड़की, 500 साल पुराना हैं रिवाज

ajab gajab news : हमारी देश में शादी करने के लिए कई रीती रिवाज हैं, कुछ तो आपको हैरान कर देंगे। इस गांव में भी एक परम्परा है जहाँ लड़का और लड़की शादी से पहले एक साथ रहते हैं. आइये जानते हैं इसके बारे में। 

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Ajab Gajab: In this village, the girl lives with the boy before marriage, the custom is 500 years old.

ajab gajab news : लिव इन रेलेशनशिप आजकल प्रचलन में आया है, लेकिन आदिवासी समाज में यह बहुत पहले से था। राजस्थान के सिरोही जिले के आदिवासी बाहुल्य माउंट आबू इलाके में विवाह की यह प्रथा सदियों से चली आ रही है। इसे 'दापा' प्रथा कहते हैं। इसे गंधर्व विवाह भी कहते हैं। बताया जाता है कि आदिवासी करीब 500 वर्षों से इस परंपरा का पालन कर रहे हैं।

सिरोही जिले के भुला वालोरिया झामुंडी और आबू रोड क्षेत्र के उपलाखेड़ा आदिवासी गांवों में इस अद्भुत परंपरा को देखा जा सकता है। लड़की समाज के सामने ही मेले में किसी लड़के को पसंद कर उसका हाथ पकड़ती है। लड़का फिर उसे अपने घर ले जाता है। लड़की बिना शादी के ही उसके घर में उसके साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहती है।

लड़की को लड़का पसंद आने पर वह अपनी सखियों से उसके परिवार को बताती है। लड़की का परिवार ढोल नगाड़े बजाकर लड़के के घर जाता है। वहाँ एक बकरे को बलि देते हैं। लड़के दो-तीन दिन तक घर में रहते हैं, इससे उनके रिश्ते मजबूत होते हैं।

दोनों परिवार मिलकर रहते हैं, जो लड़की और लड़के के नए रिश्ते को सामाजिक स्वीकृति देता है। फिर पति पत्नी की तरह लड़का और लड़की एक साथ रहते हैं। इस परंपरा में कई प्रथाएं भी शामिल हैं। दोनों में अच्छी बॉडिंग होने पर वे शादी कर लेते हैं। लेकिन लड़का लड़की को छोड़ सकता है अगर उसे पसंद नहीं आती।

वह लड़की उसके बाद किसी दूसरे लड़के का हाथ नहीं पकड़ सकती जब तक कि लड़का स्वतंत्र है। लेकिन उसे आजीवन उस लड़की का पालन पोषण करना होगा। उसे अपने घर के किसी कोने में जगह मिलती है। यह आदत लड़कों की मानी जाती है। क्योंकि यह प्रथा लड़के पर निर्भर करती है कि वह हाथ पकड़ने वाली लड़की से शादी करेगा या नहीं।

वह शादी कर लेता है, अगर नहीं तो वह उस लड़की को घर में एक झोपड़ी बनाकर देता है। वह लड़की फिर बिना शादी के वहां रहती है। लड़का ही अपने खाने और पीने का नियम बनाता है। इस संस्कृति का पालन करने के लिए एक वर्ष में तीन बार मेले का आयोजन किया जाता है।

इसका आयोजन हर साल फाल्गुन महीने में किया जाता है। इस मेले को गर्मियों के मई महीने में आयोजित किया जाता है। दिसंबर महीने में वर्ष का तीसरा और अंतिम मेला होता है। विधि पूरी होने के बाद विवाह माउंट आबू की नक्की झील, 33 करोड़ देवी देवताओं की जन्मस्थली, की परिक्रमा करके संपन्न किया जाता है।

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