राजस्थान की 2 नई सरसों किस्मों को मिली मान्यता, 12 राज्यों के किसान कर सकेंगे बिजाई
Bharat Mustard-7 : कृषि क्षेत्र में किसानों की बदलती जरूरतों और चुनौतियों को देखते हुए सरसों की खेती करने वाले किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान, भारतपुर ने सरसों की दो नई उन्नत किस्मों का विकसित किया है, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अब मान्यता भी मिल चुकी है।

Rajasthan Mustard Variety : किसानों की बदलती आवश्यकताओं और कृषि क्षेत्र की कई चुनौतियां के मध्य नजर अब किसानों के लिए एक उत्कृष्ट खोज सामने आई है. सरसों की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ी अपडेट सामने आई है. भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान भारतपुर में सरसों की दो नई किस्म को विकसित किया है. सरसों की इन दोनों किस्म को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता भी मिल चुकी है. देश के 12 राज्यों में अब सरसों की खेती आसान और ज्यादा पैदावार देगी. देश के जो इलाके बारिश पर आधारित खेती करते हैं उनके लिए ये सरसों की किस्में लाभदायक स्थापित होगी. सरसों की इन किस्म को मौसम के उतार चढ़ाव की देखते विकसित किया गया है जिससे तापमान का प्रभाव ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा.
निरंतर खोज और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता का संकेत
भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान भारतपुर में सरसों की दो नई किस्म को विकसित किया है. हाल ही में पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (पीपीवीएफआरए), नई दिल्ली ने दो उन्नत सरसों की किस्मों को पंजीकृत किया गया है. दो उन्नत सरसों की किस्मों में भारत सरसों - 7 1/4 डी आर एम आर - 150-35) और भारत सरसों - 8 1/4 डी आर एम आर - 1165-40 शामिल हैं। यह उपलब्धि संस्थान की निरंतर खोज और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता का संकेत है। इन किस्मों को संस्थान के निदेशक डॉ. विजय वीर सिंह ने विकसित किया है, जो किसानों की बदलती आवश्यकताओं और कृषि क्षेत्र की कई चुनौतियों को ध्यान में रखते हैं।
बारिश पर निर्भर स्थानों के लिए आदर्श
डॉ. विजय वीर सिंह, निदेशक, ने बताया कि इन किस्मों को देश भर में खेती और जलवायु की चुनौतियों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। डॉ. विजय वीर सिंह ने कहा कि पंजीकरण संस्थान की उत्कृष्ट खोज है। हमें विश्वास है कि ये किस्में किसानों के लिए वरदान होंगे और देश की खाद्य तेल सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। संस्थान के नवाचारों को देश-दुनिया में मान्यता मिलेगी और इन प्रकार के बौद्धिक संपदा अधिकारों को पंजीकृत किया जाएगा। यह आने वाले वर्षों में किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने, उनकी आमदनी को बढ़ाने और देश को खाद्य तेल क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा। भारत सरसों-7 बारिश पर निर्भर स्थानों के लिए आदर्श है, वहीं भारत सरसों-8 अधिक तापमान और नमी का सामना कर सकता है। उनका कहना था कि इन किस्मों से न केवल खाद्य तेल की मांग पूरी होगी, बल्कि किसानों की आय में भी बड़ा योगदान होगा।
अधिक उपज से किसानो को मिलेगा फायदा
डॉ. विजय वीर सिंह ने बताया कि भारत सरसों-7 एक शीघ्र पकने वाली किस्म है, जो वर्षा आधारित है, जल्दी बोआई में उपयुक्त है और अधिक उपज और तेल प्रतिशत वाली है। बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, छत्तीसगढ़ और मणिपुर जैसे राज्यों में यह किस्म उपयुक्त है। साथ ही, भारत एक सरसों किस्म है जो उच्च तेल प्रतिशत, समय पर बोआई के लिए उपयुक्त है, 8 ताप और नमी दबाव के प्रति सहनशील है और 2200–2600 किग्रा प्रति हेक्टेयर उपज देती है। इसका विकास राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और जम्मू&कश्मीर के लिए हुआ है।
भारत सरसों 8
भारत सरसों-8 मध्यम अवधि की किस्म है। यह पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर जैसे मौसम में उतार-चढ़ाव वाले राज्यों के लिए अच्छा है। 2200 से 2600 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की उपज यह किस्म दे सकती है। और उच्च तेल प्रतिशत से व्यावसायिक खेती लाभ उठाएगी।
भारत 7 सरसों
भारत में सरसों-7 फसल जल्द ही तैयार हो जाएगी। यह कम वर्षा और सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए अच्छा है। बिहार, झारखंड, ओडिशा, असम और छत्तीसगढ़ राज्यों में इसे लागू करने की सिफारिश की गई है। कम खर्च पर यह किस्म अधिक उपज और उच्च तेल प्रतिशत देती है।