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भारत की बिना रोग लगने तीन मुख्य किस्में, मिलेगा बम्पर उत्पादन

टमाटर भारत में उगाए गए महत्वपूर्ण सब्जी फसलों में से एक है. टमाटर के प्रमुख उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और महाराष्ट्र है. इन राज्यों में से कर्नाटक  का औसतन उत्पादन सबसे ज्यादा है. यहां पर औसतन प्रति हेक्टेयर 35 टन टमाटर का उत्पादन होता है.
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Saral Kisan: पिछले दिनों हमने आपको बताया टमाटर की संस्करित प्रजाति अर्का रक्षक के एक पौधे से कैसे एक किसान ने 19 किलो तक उत्पादन हासिल करने में कामयाबी पाई. दरअसल भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए टमाटर की इस उन्नत प्रजाति से न केवल अधिकतम उत्पादन हासिल किया जा सकता है बल्कि टमाटर की इस उन्नत प्रजाति में टमाटरों में लगने वाले कई रोगों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता भी मौजुद है.

टमाटर भारत में उगाए गए महत्वपूर्ण सब्जी फसलों में से एक है. टमाटर के प्रमुख उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और महाराष्ट्र है. इन राज्यों में से कर्नाटक  का औसतन उत्पादन सबसे ज्यादा है. यहां पर औसतन प्रति हेक्टेयर 35 टन टमाटर का उत्पादन होता है. कर्नाटक में टमाटर का सबसे ज्यादा औसतन उत्पादन अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियां और उच्च उपज हाइब्रिड बीज अपनाने के कारण होता है.

हालांकि,  भारत में अभी तक किसान हाइब्रिड बीज को टमाटर की खेती के लिए पूर्ण रूप से नहीं अपना रहे हैं. इसके पौधे में कीट-फतींगा और अजैविक कारकों के कारण कई प्रकार की बीमारी लग जाती है. जिसके कारण भारत अभी तक प्रति हेक्टेयर 60-80 टन के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाया है. टमाटर में लीफ कर्ल वायरस (ToLCV), बैक्टीरियल विल्ट (BW) और शुरुआती बिल्ट (EB) जैसे रोगों के कारण कुल उत्पादन का 70-100 प्रतिशत तक का नुकसान होता है.

कर्नाटक के चिक्कबल्लपुर जिले के देवस्थानदा हौसल्ली के एक किसान चंद्रापप्पा के पास बागवानी फसलों जैसे टमाटर, आलू, शिमला मिर्च, गाजर और अंगूर के लिए 20 एकड़ का खेत है. उन्होंने टमाटर की खेती करना कभी नहीं छोड़ा. लेकिन चंद्रपा ने वर्ष 2010 से टमाटर में लीफ कर्ल वायरस (ToLCV), बैक्टीरियल विल्ट (BW) और शुरुआती पाला (EB) जैसी बीमारियों और निजी और सार्वजनिक संस्थानों में प्रतिरोधी हाइब्रिड बीज नहीं होने ने कारण इसकी खेती को स्थायी रूप से बंद कर दिया था.

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भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बंगलुरू के वैज्ञानिक ए.टी. सदाशिव की अगुवाई में  भारत में पहली बार हाइब्रिड टमाटर अर्का रक्षक को विकसित किया गया, जो लीफ कर्ल वायरस (ToLCV), बैक्टीरियल विल्ट (BW) और शुरुआती बिल्ट (EB) जैसी बीमारियों से लड़ने में पूरी तरह से सक्षम था. वर्ष 2010 में शुरुआती ये टमाटर के उन्नतशिल प्रजाति प्रति हेक्टेयर 75-80 टन उत्पादन दिया.ये हाइब्रिड टमाटर का फल साइज में 90-100 ग्राम और देखने में चौकोर है. गहरे लाल रंग के ये टमाटर जल्दी खराब नहीं होते हैं, इसलिए लंबी दूरी विपणन और प्रसंस्करण के लिए उपयुक्त होते हैं.

अर्का रक्षक: F1 हाइब्रिड टमाटर जो उच्च उत्पादन क्षमता और कर्ल वायरस (ToLCV), बैक्टीरियल विल्ट (BW) और शुरुआती बिल्ट (EB) बीमारियों की प्रतिरोधी क्षमता से लैस

कृषि वैज्ञानिक चंद्रप्पा ने पहली बार वर्ष 2012 के गर्मियों के मौसम में अर्का रक्षक की खेती की. उन्होंने अर्का रक्षक के 1000 पौधे के साथ-साथ कॉमर्शियलF1 हाइब्रिड टमाटर बादशा  का पौधे को खेतों में सावधानी पूर्वक लगाया. वे नई किस्म के F1 हाइब्रिड अर्का रक्षक पौधे के प्रदर्शन से काफी खुश हुए क्योंकि इसमें बैक्टरियल बिल्ट की बीमारी 5 प्रतिशत से कम लगी थी. इतना ही नहीं इसके फल की कीमत कॉमर्शियल F1 हाइब्रिड टमाटर की तुलना ज्यादा मिली क्योंकि अर्का रक्षक का गहरे लाल रंग होने के कारण देखने में ज्यादा आकर्षित होने के साथ-साथ उसकी क्वालिटी 15-20 दिनों तक बरकरार रहा, जो लंबी दूरी मार्केट के उपयुक्त था.

अर्का रक्षक टमाटर का एक पौधा औसतन 7.3 किग्रा का उत्पादन दे सकता है और गर्मी के दिनों में इसके 1000 पौधे से लगभग 1 लाख रूपये का शुद्ध मुनाफा कमाया जा सकता है. संस्थान इसके प्रदर्शन को दिखाने के लिए एनआईसीआरए परियोजना के तहत गर्मियों में 2012 के दौरान एक कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजित किया, जिसमें 150 से अधिक किसानों ने  भाग लिया.

ये देखकर किसान चंद्रप्पा काफी प्रभावित और आश्वस्त हुए. उन्होंने वर्ष 2012 के दौरान अपनी आधे एक एकड़ ज़मीन (2000 वर्ग मीटर) में 2000 टमाटर के पौधे को फिर से लगाया. टमाटर के आकार को बढ़ाने के लिए पौधों और पंक्तियों के बीच जगह बढ़ा दी. ऐसा करने के बाद जहां टमाटर के आकार बढ़े,  वहीं उत्पादन भी बढ़ा.

आधे एकड़ ज़मीन में चंद्रप्पा ने 38 टन टमाटर का उत्पादन किया यानी प्रति एकड़ 76 टन टमाटर का उत्पादन हुआ. इस हाइब्रिड टमाटर के एक पौधे से औसतन 19 किग्रा पैदावार हुआ. इस प्रकार के फसल से उन्होंने सिर्फ आधे एकड़ ज़मीन पर किए गए फसल से 2.5 लाख का शुद्ध मुनाफा कमाया.

उन्होंने इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2013 के गर्मी के मौसम में एक एकड़ ज़मीन में 60 टन अर्का रक्षक टमाटर का पैदावार करके 5 लाख का शुद्ध मुनाफा कमाया. चंद्रप्पा ने चौथी बार इसकी खेती वर्ष 2013 के खरीफ फसलों के मौसम में की और औसतन उसके एक पौधे से 20 किग्रा टमाटर का पैदावार करके मात्र 2500 से पौधे से 2.5 लाख का शुद्ध मुनाफा कमाकर चमत्कार कर दिया.

वर्ष 2014 के गर्मी के मौसम में किसान चंद्रप्पा ने लगातार 5वीं बार अर्का रक्षक टमाटर को एक एकड़ की खेत में करीब 3,500 पौधे को लगाया. उन्होंने इसकी खेती 16 अगस्त 2014 तक 12 चुनिंदा (110 दिनों के बाद ट्रांसप्लांटिंग) को ध्यान में रखकर प्रति एकड़ 31 टन टमाटर के उत्पादन करके कीर्तिमान गढ दिया. अपनी उम्मीद के अनुसार वे अपने स्वस्थ और कीट मुक्त खेत से प्रति एकड़ 30 टन टमाटर का पैदावार किया. उन्होंने अपनी चतुराई से गर्मी में मौसम में कीमत को ध्यान में रखते हुए टमाटर रोपण की योजना बनाई और अब तक 9.75 लाख रूपये की सकल आय अर्जित की है.

कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के सचिव और भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान के महानिदेशक डॉ एस एयप्पन ने कर्नाटक के चिकबल्लापुरा जिले के देवस्थानन होसहाली गांव में 16 अगस्त, 2014 को किसान चंद्रप्पा के खेतों में अर्का रक्षा-ट्रिपल रोग प्रतिरोधी टमाटर के पैदावार देखने के लिए दौरा किया. इनके साथ दौरे पर भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (नई दिल्ली) उद्यान-विज्ञान के उप महानिदेशक डॉ. एनके. श्रीकृष्ण कुमार औरआईसीएआर (बैंगलौर) के कार्यवाहक निदेशक डॉ. टी मंजूनाथ राव मौजूद रहे.

अब तक देश के 22 राज्यों में नई संकर प्रजाति के इस टमाटर के 35 किलो बीजों का वितरण किया गया है. अफ्रीका, पाकिस्तान और वियतनाम जैसे देशों से भी इस संकर प्रजाति के बीजों के मांग प्राप्त हुए हैं. संस्थान द्वारा विकसित किए गए इस बीज की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसके बीज बाजार दर से आधी कीमत पर किसानों के लिए उपलब्ध कराए जा रहे हैं. 

प्राइवेट कंपनियां जहां इस तरह के बीज किसानों को उपलब्ध कराने के लिए रु 600 से 700 रुपये प्रति दस किलो तक वसूलते हैं वहीं संस्थान अर्का रक्षक को किसानों को इसकी तुलना में आधी कीमत प्रति दस किलो तीन सौ रुपये में उपलब्ध करा रही है.

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