कपास की फसल को गुलाबी सुंडी से बचाने के कारगर उपाय, बिजाई के दौरान रखें इन बातों का ध्यान
Gulabi Sundi : नरमा और कपास की फसल के लिए गुलाबी सुंडी है काल बना हुआ है। आज के समय में बात करें तो कपास के लिए सबसे बड़ा दुश्मन यह कीट बन गया है। इससे बचने के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बहुत सारे टिप्स और सुरक्षा संबंधी सलाह दी जा रही है। विशेषज्ञों की मानें तो दुनिया भर में करीबन 1.2 करोड़ एकड़ जमीन पर उगाई जाने वाली कपास इससे प्रभावित हो रही है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार अगर हल्के कीटनाशक और नीम आधारित उत्पादों का उपयोग करके शुरू में इनको नियंत्रित किया जा सकता है।
आज के समय में अगर बात की जाए तो गुलाबी सूँडी किसानों के लिए सबसे बड़ा दुश्मन बन चुकी है और यह किट ऐसा है जिसे काबू में करना काफी मुश्किल हो गया है। इसके चलते किसानों को भारी मात्रा में आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। जिस कपास की फसल में गुलाबी सूँडी का प्रकोप आया है उसे घर या खेतों के नजदीक गोदाम में कभी भी स्टोर नहीं करना चाहिए।
खेतों से निकलने वाली लकड़ियों के टिंडे झाड़कर उन्हें नष्ट कर देना चाहिए और बाकी बची लकड़ियों को मच्छरदानी से अच्छी तरह ढक दें ताकि कीट पतंगे खेत में प्रवेश न कर पाए। कपास की चुनाई और लड़कियों की कटाई जितना जल्दी हो सके कर लें और कपास की फसल में अंतिम सिंचाई सितंबर महीने के अंत तक जरूर करनी चाहिए। इससे फसलों के नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
कपास की फसल विकसित होते ही गुलाबी सूँडी फलों पर अपना अंडा देना शुरू कर देती है और धीरे-धीरे करके वह कुछ हिस्से को नुकसान पहुंचाती है। गुलाबी सूँडी का लारवा इसे नष्ट करने के लिए बीजों में गोलाकार कोष में प्रवेश करता है। इनके अंदर कीटनाशकों के छिड़काव का कोई प्रभाव नहीं पड़ता जिसे वह सुरक्षित हो जाते हैं।
कृषि वैज्ञानिकों की सलाह अनुसार इससे बचने के उपाय
- जिन किसानों के खेतों में गुलाबी सुंडी की समस्या आई है, उन्हें फसल चक्र के अनुसार खरीफ की फसल बोनी चाहिए।
- कपास के बिजाई मई के महीने में जरूर कर लें और बुवाई पूर्व से पश्चिम दिशा में करना लाभकारी रहता है।
- गुलाबी सूँडी के शुरुआत में हल्के कीटनाशक और नीम आधारित उत्पादों का प्रयोग करना चाहिए।
- कपास के खेतों में गुलाबी सूँडी की निगरानी के लिए दो से तीन पैरामाउंट ट्रैप प्रति एकड़ की दर से जरूर लगाएं।
- कपास की फसल में अधिक मात्रा में नाइट्रोजन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- कपास की अंतिम सिंचाई के बाद बच्चे टिंडों को नष्ट कर दें या फिर खेत में भेड़ बकरियों को चरने दें।
- गुलाबी सुंडी के प्रकोप वाले क्षेत्रों में लकड़ियों को इकट्ठा ना करें।