130 करोड़ का यह फूल 15 साल में खिलता है सिर्फ एक बार, खरीदने से पहले सोचने को मजबूर हो जाएंगे बड़े बड़े लोग!
Saral Kisan : बरसाती मौसम के आगमन के साथ ही सपनों की तरह हरियाली छाई जाती है। पेड़-पौधों की नई पत्तियों से जगमग उठता है। विविध प्रकार के फूल खिल आते हैं, रंग-बिरंगे और अद्वितीय। आमतौर पर, आपने विभिन्न रंगों के गुलाब के फूलों का आनंद लिया होगा - लाल, सफेद, पिंक, काले, और अन्य कई विविध प्रजातियां।
हालांकि, आज हम उन गुलाबों के बारे में चर्चा करेंगे जिनकी मूल्यवानी नीलामी करती है, और इन्हें प्राप्त करने के लिए करोड़पति होना आवश्यक है। यदि आप करोड़ों का मालिक नहीं हैं, तो इस खास फूल का सुगंध आदान-प्रदान करने का सपना कई बार कठिनाईयों में फंस सकता है।
हम इस बार जूलियट रोज के बारे में बात कर रहे हैं। जी हां, यह गुलाब वाकई विशेष है और इसकी मूल्यवानी कीमत बहुत सारे हीरों को भी परास्त करती है। इसमें क्या चमक है, आखिर क्यों नहीं? इस गुलाब की खेती करने में पंद्रह साल की कठिन मेहनत लगती है।
यह दुनिया का सबसे महंगा गुलाब है, इसकी खूबसूरती और गंध सिर्फ देखने वाले को ही मोहित कर देती है। इसे "जूलियट रोज" के नाम से जाना जाता है, और इसकी विशेषताएँ इसे विश्वभर में प्रसिद्ध करती हैं।
अद्वितीय मूल्य का स्वागत करें - जूलियट रोज, दुनिया का सबसे महंगा गुलाब। वित्तीय विश्लेषण ऑनलाइन प्रकाशित रिपोर्ट में इस गुलाब के बारे में बताया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, जूलियट रोज का मूल्य 130 करोड़ रुपये है, जिसकी महंगाई के पीछे विशेष कारण है।
यह गुलाब बोने जाने की प्रक्रिया में आम गुलाबों की तुलना में अधिक कठिनाइयों का सामना करता है, और इसे उगाने में बहुत ज्यादा मेहनत लगती है। जूलियट रोज की खेती की शुरुआत पहली बार 2006 में हुई थी, जब डेविड ऑस्टिन नामक व्यक्ति ने इसे उगाने का प्रयास किया। कई प्रयोगों के बाद, उन्होंने इस मूल्यवान गुलाब की सफलता पाई।
इस गुलाब की उगाई केवल पंद्रह साल बाद उसमें फूल खिलने लगते हैं। इस अवधि में इसकी पौधों की विशेष देखभाल की जाती है। यहाँ तक कि यह गुलाब अनेक प्रकार के फूलों के पौधों की आपसी मिश्रण द्वारा उत्पन्न किया गया है, और इसी तरीके से इसकी कीमत और महत्व बढ़ गए हैं।
जूलियट रोज, जिसकी बनावट से इसका यह नाम प्राप्त हुआ है, वास्तविकता में अद्वितीय है और इसका मूल्यवान विशिष्टता के कारण यह महंगा माना जाता है। जब इसे पहली बार 2006 में उगाया गया था, तो इसकी मूल्यवानी कीमत 90 करोड़ रुपये थी। हालांकि, आजकल की तारीख में इसकी कीमत 130 करोड़ रुपये हो गई है।
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