राजस्थान के जीरा की विदेशों में खूब मांग, प्रोसेसिंग यूनिट ना होने से किसानों को नुकसान
Cumin : पश्चिमी राजस्थान में होने वाला जीरा बहुत ही खास तरह का जीरा होता है. क्वालिटी के हिसाब से मोटा और धारीदार दाना इसकी विशेष पहचान है. राजस्थान के जीरे की देश और विदेशों में खूब मांग होती है. जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर और जालौर में बड़े स्तर पर जीरे का उत्पादन होता है.
भारत में अन्य जगह होने वाले जीरे के मुकाबले राजस्थान का जीरा दाने में मोटा होता है. और उसके ऊपर धारियां भी बनी हुई होती है. खाने का जायका बढ़ाने वाले राजस्थान जीरे की चार जिलों में बड़े पैमाने पर खेती की जाती है. हालांकि नागौर और बीकानेर में भी जीरा उत्पादन होता है. पिछले कुछ सालों में उत्पादन के मामले में अब नागौर भी पीछे नहीं रह रहा है. लेकिन पूरे प्रदेश का 80% जीरा सांचौर, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और पाली जिलों में होता है.
प्रोसेसिंग यूनिट लग जाए तो
इन जिलों का जीरा बिकवाली के लिए गुजरात में जाता है. इसका कारण यह है कि राजस्थान में प्रोसेसिंग यूनिट स्थानीय स्तर पर कम या ना होना. राजस्थान के किसानों द्वारा गुजरात की उंझा मंडी में जीरा बचने के लिए किसानों का अतिरिक्त समय और आने जाने का खर्चा बढ़ जाता है. अगर जालौर या सांचौर में प्रोसेसिंग यूनिट लग जाए तो राजस्थान के किसानों को जीरा बचने के लिए गुजरात की तरफ रुख नहीं करना पड़ेगा. जिससे किसान अपनी उपज का ज्यादा दाम भी ले सकेंगे और आने-जाने का खर्चा और समय भी बच जाएगा.
स्थानीय तौर पर प्रोसेसिंग यूनिट लगने के बाद किसानों को जरा फसल बेचने के लिए 200 से 300 किलोमीटर दूर नहीं जाना पड़ेगा. वहीं, उनका अब गुजरात बेचने के दौरान प्रति क्विंटल के हिसाब से 1500 से 2000 रुपए खर्चा लगता है वह भी बच जाएगा.