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Rajasthan: कच्चा मोरेल बांध के बढ़ते जलस्तर से सवाई माधोपुर रेलवे ट्रैक पर अलर्ट

Kota News : कोटा क्षेत्र में निरंतर बरसात के कारण स्थानीय लोगों की जान और माल का काफी नुकसान हो रहा है। कोटा रेल मंडल के सवाई माधोपुर के निकट नारायणपुर टटवाड़ा और मलारना स्टेशनों के मध्य रेलवे ट्रैक पर खतरा पैदा हो गया है क्योंकि बांध के ऊपर से पानी छलक रहा है। इसके परिणामस्वरूप कोटा मंडल रेल प्रशासन ने रेड अलर्ट घोषित किया है।
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Kota News : कोटा क्षेत्र में निरंतर बरसात के कारण स्थानीय लोगों की जान और माल का काफी नुकसान हो रहा है। कोटा रेल मंडल के सवाई माधोपुर के निकट नारायणपुर टटवाड़ा और मलारना स्टेशनों के मध्य रेलवे ट्रैक पर खतरा पैदा हो गया है क्योंकि बांध के ऊपर से पानी छलक रहा है। इसके परिणामस्वरूप कोटा मंडल रेल प्रशासन ने रेड अलर्ट घोषित किया है।

Rajasthan News : कोटा क्षेत्र में हो रही निरंतर बरसात की वजह से लोगों की जान तक बन आई है, जिसके कारण स्थानीय लोगों की जान और माल का काफी नुकसान हो रहा है। अब अगर, निरंतर बरसात हुई तो जिले का मोरल बांध टूटने की संभावना है। तीन से चार इंच पानी बांध के ऊपर चल रहा है। कोटा रेल मंडल के सवाई माधोपुर के निकट नारायणपुर टटवाड़ा और मलारना स्टेशनों के मध्य रेलवे ट्रैक पर खतरा पैदा हो गया है क्योंकि बांध के ऊपर से पानी छलक रहा है। इसके परिणामस्वरूप कोटा मंडल रेल प्रशासन ने रेड अलर्ट घोषित किया है।

बांध पर हो रही, 24 घंटे गश्त

रेलवे विभाग ने खतरे को ध्यान में रखते हुए 24 घंटे की निगरानी का काम शुरू कर दिया है। इस बांध पर निरंतर गश्त होती रहती है। रेलवे अधिकारी स्थिति पर निरंतर निगरानी रख रहे हैं। बुधवार के दिन भी अधिकारी मौके पर पहुंचे और हालात की जांच की। इस दौरान, अधिकारियों ने कहा कि अभी कोई खतरा नहीं है और लगातार इस पर दृष्टि रखी जा रही है। लेकिन बांध गिरने पर रेलवे ट्रैक को काफी हानि पहुंच सकती है।

32 फीट तक भर गया, पानी

साल 1952 में निर्मित मोरेल बांध एशिया मैं सबसे बड़ा मिट्टी से बना हुआ बंद है। इसमें 32 फिट तक पानी भर सकता है। अभी इसमें 31 फीट पानी भरा हुआ है और पानी निरंतर बढ़ता जा रहा है।  कानोता डेम (Kanota Dam) खतरे के निशान को छु गया है। अभी, चाकसू डेम टूट गया है। अगर, कानोता डेम भी टूट जाएगा, तो सारा पानी मोरल बांध में आ सकता है। जिसके चलते, यह बांध भी टूट जाएगा।

45 वर्ष पहले टूटा था, यह बांध

45 वर्ष पहले यह बांध टूट गया था। तब भी रेलवे को बहुत ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा था। दौसा और सवाई माधोपुर जिले के सैकड़ों गांवों के हजारों किसानों की जीवन रेखा मोरेल बांध पर निर्भर करती है। 2019 और 1997 में पहले भी यह बांध छलका था।

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