home page

जीरा के भावों में आने लगा उछाल, चालू सीजन में 4.08 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान

इस साल कम भाव को देखते हुए किसान और व्यापारियों को उम्मीद है कि जीरा के भाव में तेजी आएगी. इसी को देखते हुए स्टॉक करने की आशंका जताई जा रही है. देश में सर्वाधिक जीरे का उत्पादन राजस्थान में होता है उसके बाद दूसरे नंबर पर गुजरात आता है.
 | 
जीरा के भावों में आने लगा उछाल, चालू सीजन में 4.08 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान

Jeera : राजस्थान में इस साल जीरा की पैदावार ज्यादा हुई. परंतु किसानों को पिछले सीजन की तरह मजबूत भाव नहीं मिल पाया है. जीरा की कीमतों में उछाल की उम्मीद लगाए बैठे किसान और व्यापारी माल को स्टॉक कर सकते हैं. क्योंकि पिछले साल त्योहारों पर जीरा की कीमतें 60000 हजार रुपए प्रति क्विंटल के आसपास पहुंच गई थी. परंतु इस साल अभी के समय जीरा के औसत भाव 18 हजार से लेकर 28000 प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है.

इस साल कम भाव को देखते हुए किसान और व्यापारियों को उम्मीद है कि जीरा के भाव में तेजी आएगी. इसी को देखते हुए स्टॉक करने की आशंका जताई जा रही है. देश में सर्वाधिक जीरे का उत्पादन राजस्थान में होता है उसके बाद दूसरे नंबर पर गुजरात आता है. इन दोनों राज्यों में देश का करीब 99 फीसदी जीरा उत्पादन होता है. इस चालू सीजन में दोनों राज्यों में जीरे का उत्पादन 4.08 लाख टन होने का अनुमान जताया गया है.

राजस्थान के कुछ गुजरात से लगते नजदीकी जिलों का माल किसान बचने के लिए गुजरात की उंझा मंडी की तरफ रुख करते हैं. इसके अलावा यह मंडी देश की सबसे बड़ी जीरा मंडी में आती है. एक रिपोर्ट के अनुसार उंझा कृषि उपज मंडी समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि पिछले सीजन फरवरी में में जीरा का सबसे ज्यादा रकबा दर्ज किया गया था. जिसके चलते इस बार जीरा उत्पादन बड़े स्तर पर हुआ.

आवक में बढ़ोतरी होने के कारण अप्रैल के बीच में लगभग कीमतें 20 से 22000 रुपए प्रति क्विंटल चली गई थी. फिर उसके बाद अगले ही महीने में जीरा की कीमतों में मामूली तेजी देखने को मिली और औसतन भाव 25000 हजार रुपए प्रति क्विंटल के आसपास पहुंचने लगे. आपको बता दें कि पिछले साल त्योहारों के सीजन के समय जीरा की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर 60000 रुपए प्रति क्विंटल चली गई थी.

मंडियो में आवक घट

उसी को देखते हुए इस साल भी किसान और व्यापारी त्योहारी सीजन के इंतजार में हो सकते हैं. हमारी सरल किसान की टीम ने कुछ जीरा किसानों से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि वह कम कीमत पर जीरा की फसल को बेचना नहीं चाहते. उन्हें उम्मीद है कि अगले एक या दो महीनों में बाद आगामी त्यौहार सीजन में यह भाव बढ़ सकते हैं. इसका अंदाजा इसी तरीके से लगाया जा सकता है कि जब से जीरा की कीमतों में कमी आई है तब से मंडियो में आवक घट गई है.

व्यापारियों और सट्टेबाजों के लिए दावा आसान

हर साल जीरा का उत्पादन घटता बढ़ता रहता है. जीरा की कीमतों में 125 रुपए से लेकर ₹600 प्रति किलोग्राम तक का उतार चढ़ाव देखने को मिला है. अन्य गेहूं या प्याज की फसलों की तरह सरकार इसको नियंत्रित नहीं करती है. इसी वजह से व्यापारियों और सट्टेबाजों के लिए दाव लगाना आसान है पुराने प्लेयर स्टॉक को रोक सकते हैं.

Latest News

Featured

You May Like