home page

दुनिया भर में फेमस है भारत का यह बिस्किट, नाम के पीछे भी है अजब कहानी

देशवासियों ने स्वतंत्रता सेनानियों के अनुरोध पर विदेशी सामानों का विरोध किया था। मोहनलाल दयाल ने इसके लिए पहली फैक्ट्री की स्थापना की, और जर्मनी से 60,000 रुपये की मशीनें आई थीं।
 | 
The world is crazy about this Indian biscuit, there is a unique story behind its name.

Saral Kisan : क्या आप जानते हैं कि कौन सा बिस्किट विश्व में सबसे अधिक बेचा जाता है? ब्रिटानिया, ओरियो या फिर कोई अन्य? शायद आपके मन में ऐसा कुछ उत्तर आया हो, लेकिन जो लोग इस प्रश्न को पढ़ते ही समझ जाते हैं कि इसका उत्तर कुछ और हो सकता है - पार्ले-जी (Parle-G) बिस्किट. हां, वाकई, विश्व में सबसे ज्यादा बेचा जाने वाला बिस्किट पार्ले-जी है. इस बारे में हम आपको बताएंगे कि इस प्राचीन ब्रांड का उद्भव कैसे हुआ और कैसे यह उच्चतम सीमा तक पहुंचा, जिससे कि यहने अनेक श्रेष्ठ ब्रांड्स को आघात पहुंचाया।

2013 में पार्ले-जी ने पहला ऐसा एफएमजीसी ब्रांड के रूप में अपना प्रवेश किया, जिसने खुदरा बाजार में 5000 करोड़ रुपये की बिक्री दर्ज की थी। चीन में किसी भी अन्य ब्रांड से अधिक बेचा जाता है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, हर क्षण में देश में करीब 4500 पार्ले-जी बिस्किट खाए जा रहे हैं। 2011 में नीलसन ने रिपोर्ट किया कि पार्ले-जी ने बड़े-बड़े ब्रांड्स को पछाड़ दिया है, जैसे कि ओरियो, क्राफ्ट फूड, गेमेसा और वॉलमार्ट। 2018-20 में पार्ले-जी ने 8000 करोड़ रुपये के बिस्किट बेचे, जो लॉकडाउन के समय लोगों के लिए एक साथी की भूमिका निभाया। पार्ले-जी ने 3 करोड़ पैकेट गरीब लोगों को वितरित किए थे।

कंपनी का नाम कैसे चुना गया?

पार्ले-जी का उत्थान आजादी संग्राम के समय हुआ था, स्वदेशी आंदोलन के महत्वपूर्ण दौर में। जब देशवासियों ने स्वतंत्रता सेनानियों के अनुरोध पर विदेशी सामानों का विरोध किया था। मोहनलाल दयाल ने इसके लिए पहली फैक्ट्री की स्थापना की, और जर्मनी से 60,000 रुपये की मशीनें आई थीं। फैक्ट्री में शुरुआत में 12 लोगों को काम दिया गया था। 1938 में, यह बिस्किट विश्व के सामने आया। मान्यता है कि कंपनी के मालिक इसके प्रबंधन में इतने व्यस्त हो गए कि वे नाम रखने को भूल गए। इसने सबसे सुविधाजनक और सुसंगत नाम को चुना, जिससे कि उसकी पहचान आसानी से हो सके। कंपनी का मूल स्थान विले पार्ले में था, इसलिए उसका नाम पार्ले रखा गया। आगे बढ़कर, ग्लूकोज से भरपूर पार्ले जी ने ब्रांडिंग और विपणन के लिए अद्वितीय रणनीतियों का पालन किया।

पैकेट पर बनी बच्ची कौन है?

यह मिथ्या स्थिति थी कि पार्ले-जी की पहचान नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति को प्रतिस्थानित करती है, जिन्हें इन्फोसिस की शुरुआती निवेशक और संस्थापक माना जाता है। हालांकि, इस भ्रम का समापन मयंक शाह, पार्ले प्रोडक्ट्स के प्रोडक्ट ग्रुप मैनेजर द्वारा हुआ, जिन्होंने बताया कि यह लड़की कौन है। उन्होंने बताया कि यह कोई वास्तविक लड़की नहीं है, बल्कि यह एक कलाकार मगनलाल दहिया की कल्पना से बनी थी, और उसकी रचना 1960 में हुई थी।

क्या विदेशों में विनिर्माण प्लांट भी है?

पार्ले-जी ने केवल विशेष्यों में अपना विपणन नहीं किया है, बल्कि विनिर्माण प्लांट भी स्थापित किए हैं। इसके 6 देशों में विनिर्माण प्लांट स्थित हैं, जिनमें यूएस, यूके, कनाडा, न्यूजीलैंड, और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, चौंगाए वाले तथा अनिश्चित दौर में उपजने वाले चीन में यह किसी अन्य ब्रांड के बिस्किट से अधिक बेचता है।

ये पढ़ें : NCR में इस जगह 250 करोड़ में बिकी 3 एकड़ जमीन, आज तक की सबसे महंगी जमीन की डील

Latest News

Featured

You May Like