ज्यादा खाना सांसों पर बोझ, अब बच्चे पाल रहे बड़ों की बीमारी
Health Pips : जंक फूड का बढ़ता सेवन बच्चों के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। इनमें विटामिन और फाइबर की कमी से बच्चे बीमार हो रहे हैं। कम उम्र में ही लोग दांत दर्द और पेट दर्द जैसी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। पिछले दस सालों में जंक फूड का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। विभिन्न होटल और वेंडर पिज्जा, बर्गर, वेज रोल और अन्य फास्ट फूड उपलब्ध करा रहे हैं। यह जंक फूड बच्चों में तेजी से बीमारियां बढ़ा रहा है। चिकित्सकों का सुझाव है कि घर में बनी चीजों का इस्तेमाल कर बच्चे स्वस्थ रह सकते हैं।
जंक फूड से लीवर की समस्या
डॉ. आर. मेहता के अनुसार लीवर का काम खून को फिल्टर करना, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना और प्रोटीन बनाना है। जंक फूड लीवर को प्रभावित करता है। विटामिन और फाइबर की कमी से बच्चों की पाचन शक्ति प्रभावित हो रही है। फैटी लीवर, दांत, मसूड़े और सांस संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। मसालों के कारण पेट में जलन जैसे मामले भी सामने आए हैं। बच्चों और युवाओं को जंक फूड की जगह पौष्टिक और संतुलित आहार की आदत डालनी चाहिए। व्यायाम को बढ़ावा देना जरूरी है।
फैटी लिवर की समस्या
15 से 20 प्रतिशत बच्चे फैटी लिवर की समस्या से ग्रसित हैं। इसका मूल कारण जंक फूड का अधिक उपयोग है। व्यायाम और शारीरिक गतिविधियां कम होने से पेट दर्द की समस्या बढ़ रही है। अकेले अजमेर में फैटी लिवर के कारण प्रतिदिन 3 से 5 मरीज डॉक्टरों के पास पहुंच रहे हैं।
ये खाएं तो रहें स्वस्थ
एमडीएस यूनिवर्सिटी की फूड न्यूट्रिशन विभागाध्यक्ष प्रो. रितु माथुर ने बताया कि फास्ट फूड बच्चों और युवाओं समेत हर उम्र के लोगों के लिए हानिकारक है। इनकी जगह फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज, कम वसा वाले दूध से बने उत्पाद, मोटे अनाज का उपयोग करना बेहतर है।
सांस फूलना
जंक फूड के उपयोग से 10 से 12 प्रतिशत बच्चों में सांस फूलने की समस्या बढ़ रही है। 5 से 15 वर्ष की आयु के बच्चे सप्ताह में 2 से 3 बार फास्ट फूड का सेवन कर रहे हैं। इसके कारण लोग कम उम्र में ही सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। जबकि यह बीमारी 45 से 50 साल की उम्र में देखने को मिलती है।
40 साल के बाद कैलोरी कम करें
40 की उम्र के बाद धीरे-धीरे कैलोरी कम करनी चाहिए। इसके बजाय बढ़ती उम्र के साथ शारीरिक व्यायाम कम होता जाता है। बढ़ती उम्र के साथ पेट और हड्डियों में दर्द जैसी समस्याएं होने लगती हैं।