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नवविवाहिताओं का मधुश्रावणी व्रत शुरू, पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं करेंगी देवी गौरी की पूजा

Madhushravani Puja : मधुश्रावणी व्रत श्रावण कृष्ण चतुर्थी के बाद पंचमी पर गुरुवार से शुरू हो गया। यह पर्व श्रावण शुक्ल तृतीया बुधवार 7 अगस्त को समाप्त होगा। इसमें मिथिला की नवविवाहिताएं पति की लंबी आयु के लिए बासी फूलों से देवी गौरी की पूजा करती हैं।

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नवविवाहिताओं का मधुश्रावणी व्रत शुरू, पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं करेंगी देवी गौरी की पूजा 

Bihar News : मधुश्रावणी व्रत श्रावण कृष्ण चतुर्थी के बाद पंचमी पर गुरुवार से शुरू हो गया। यह पर्व श्रावण शुक्ल तृतीया बुधवार 7 अगस्त को समाप्त होगा। इसमें मिथिला की नवविवाहिताएं पति की लंबी आयु के लिए बासी फूलों से देवी गौरी की पूजा करती हैं। इसके लिए एक दिन पहले शाम को तरह-तरह के फूल-पत्तियों की व्यवस्था कर लेती हैं और अगले दिन माता पार्वती के साथ भगवान भोलेनाथ और विषहरी नागिन की विधिवत पूजा करती हैं। व्रती नमक रहित भोजन ग्रहण करते हैं। 

इस पूजा में महिलाएं ही पुरोहित की भूमिका निभाती हैं। इस अनुष्ठान के पहले और अंतिम दिन विधि-विधान से पूजा की जाती है। आचार्य राकेश झा ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दौरान देवी पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। पूजा के माध्यम से सुहागिनें अपने पति की रक्षा की कामना करती हैं। इस दौरान वे ठुमरी और कजरी गाकर देवी उमा को प्रसन्न करती हैं।  मधुश्रावणी की पूजा के बाद हर दिन अलग-अलग कथा सुनाई जाती है।

ससुराल से मिली सामग्री से करें पूजा

मधुश्रावणी पूजा के दौरान नवविवाहिता महिलाएं अपने मायके जाती हैं। वहीं पर यह पर्व मनाया जाता है। इस पूरे अनुष्ठान में इस्तेमाल होने वाली सामग्री, कपड़े, श्रृंगार, पूजा की व्यवस्था, विवाहित महिला के खाने-पीने की चीजें, सब कुछ ससुराल से आता है। वे मिट्टी से सांप की आकृति बनाती हैं और उसे सुंदर रंगों से सजाती हैं। पूजा के आखिरी दिन इसे प्रवाहित किया जाता है। हर दिन पूजा के बाद शिव और पार्वती के चरित्र की कथा सुनाई जाती है। मान्यता है कि इस पूजा से दांपत्य जीवन में प्रेम और खुशहाली बनी रहती है।

पति-पत्नी के बीच प्यार को दर्शाता है

मधुश्रावणी व्रत के आखिरी दिन टेमी जलाने की भी अनोखी परंपरा है। इसमें पति अपनी पत्नी की आंखों को पान के पत्ते से ढकता है। अन्य महिलाएं नवविवाहिता के घुटनों और पैरों को दीपक की लौ से दागती हैं, जिसे 'टेमी दागना' भी कहते हैं।  मान्यता है कि इससे पैरों और घुटनों में छाले नहीं पड़ते। यह पति-पत्नी के बीच प्रेम को दर्शाता है। पूजा के बाद पति अपनी पत्नी को सिंदूर लगाता है। जो दोनों के बीच आपसी प्रेम को दर्शाता है।

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