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life Expectancy : देश में स्वस्थ जिंदगी और नौकरी में महिलाओं की भागीदारी कम, मिलते हैं 48 फीसदी कम पैसे

India Life Expectancy : देश में स्वस्थ जिंदगी जीने के मामले में महिलाएं पुरुषों से काफी पीछे है। महिलाओं और पुरुषों में स्वास्थ्य के मामले में हम 142 में पायदान पर आते हैं। पिछले साल भी हमारी यही रैंक थी। साल 2022 में तो हमारी रैंक जमा फिसड्डी थी।

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life Expectancy : देश में स्वस्थ जिंदगी और नौकरी में महिलाओं की भागीदारी कम, मिलते हैं 48 फीसदी कम पैसे

Saral Kisan : हम स्वास्थ्य के मामले में पुरुषों और महिलाओं के बीच 142वें स्थान पर हैं। 2023 में भी हमारी स्थिति यही रही। 2022 में सबसे फिसड्डी थी, यानी 146वीं। दो संभावनाएं इसे मानती हैं। पहला: लिंगानुपात, यानी प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या दूसरा, आप कितने वर्षों तक स्वस्थ जीवन जी रहे हैं? लिंगानुपात और सेहतमंद जीवन प्रत्याशा की दृष्टि से देश 138वें स्थान पर है।

बता दे की 2022–2023 में देश में प्रति 1000 पुरुषों पर 933 महिलाएं थीं, जो 2014–2015 में 918 थीं। 2017 के एसआरएस सर्वे में छत्तीसगढ़ का जन्म के समय लिंगानुपात 961 था, जो देश में सबसे अधिक था। हरियाणा में सबसे कम 833 था।

रीजनवाइज के अनुसार, दक्षिण एशिया में महिलाओं और पुरुषों के बीच का अंतर 2191 तक समाप्त हो जाएगा, यानी 167 साल। इसी क्षेत्र में भारत है। 2030 तक विश्व भर में जेंडर गैप को समाप्त करने के लिए प्रति वर्ष 30 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की आवश्यकता होगी।

नौकरी महिलाओं को मिलते हैं पुरुषों के मुकाबले 48 फीसदी कम पैसे

भारत भी महिलाओं को अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी और अवसर देने में 142वें स्थान पर है। 2023 में भी यही स्थान था। 2002 में हमें 143वां स्थान मिला था। 5 पैमानों पर इसे देखा गया था। पहला, लेबर फोर्स में हिस्सेदारी, दूसरा, समान काम के लिए समान वेतन, तीसरा, अनुमानित आय, चौथा, वरिष्ठ अफसरों और मैनेजरों के पदों पर नियुक्ति। पांचवां: तकनीकी और पेशेवर कर्मचारी हम लेबर फोर्स में 134वें, समान वेतन देने में 120वें, आय में 135वें, वरिष्ठ पदों पर नियुक्ति में 136वें और पेशेवर, तकनीकी कर्मचारियों में 122वें स्थान पर हैं।

देश में पुरुषों को जिस काम के लिए 100 रु. मिलते हैं, उसी काम के लिए महिलाओं को 52.1 रुपए मिलते हैं। हमारे वर्कफोर्स में हर 100 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 46 है। यानी पुरुषों से आधी भी नहीं है।

1 - वरिष्ठ अफसरों या मैनेजर के पद पर देखें तो हर 100 पुरुषों पर सिर्फ 14 महिलाएं उस जगह हैं।

2 - पुरुषों की औसत आमदनी 100 रु. है तो महिलाओं की 29 रु.।

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