Success Story : झुग्गी में रहने वाले युवक ने खड़ा किया 41 लाख करोड़ का बिजनेस, 66 साल की उम्र में लिया ये बड़ा फैसला
Success Story : कोशिश करने वालों को कभी हार नहीं होती और सफलता सिर्फ आपकी मेहनत और कुछ करने की चाहत पर निर्भर करती है। मुंबई की चॉल से निकले एक व्यक्ति ने ऐसे ही जज़्बे से 41 लाख करोड़ रुपये का बिजनेस खड़ा किया। एचटी पारेख की प्रेरणादायक कहानी यह है कि उन्होंने अपनी कंपनी को उस उम्र में शुरू किया, जब आम तौर पर लोग रिटायरमेंट का जीवन जीते हैं। आज उनकी कंपनी भारत सहित कई अन्य देशों में अपनी सेवाएं देती है और 12 करोड़ से अधिक ग्राहक हैं।
संघर्ष और सफलता की प्रेरणादायक यात्रा
हसमुख ठाकोदास पारेख (HT Parekh Success Story) का जन्म सूरत में हुआ था। उस परिवार के पिता बैंक में काम करते थे, और उनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वे बिना काम के आगे बढ़ सकें। पारेख का बचपन मुंबई की चॉल में बीता, जहाँ उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उस समय, उन्होंने पता चला कि चुनौती जीवन का हिस्सा हैं और इन्हें पार करने के लिए संघर्ष करना चाहिए।
वह कॉलेज में पढ़ाई करते हुए पार्ट-टाइम जॉब करता था। उनके पास इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन था, लेकिन आर्थिक समस्याओं ने कभी भी उनका उत्साह कम नहीं किया। अपने संघर्षों को भुलाकर, उन्होंने अपने लक्ष्य पर ध्यान दिया और आगे बढ़ने की ठानी।
शिक्षा और करियर की शुरुआत
ग्रेजुएशन करने के बाद पारेख को लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में बैंकिंग और फाइनेंस में डिग्री मिली। उनके लिए यह एक महत्वपूर्ण परिवर्तन था। वापस लौटने के बाद वे सेंट जेवियर कॉलेज में लेक्चरर रहे, जहाँ उन्होंने अपने ज्ञान से छात्रों को मदद की। लेकिन पारेख जानता था कि उन्हें और अधिक करना चाहिए था।
कुछ समय बाद, उन्होंने हरकिशनदास लक्ष्मीदास फर्म में स्टॉक ब्रोकिंग किया। उन्हें अपनी मेहनत और प्रतिभा के कारण आईसीआईसीआई में डिप्टी जनरल मैनेजर का पद मिला। उन्होंने वहाँ अपने ज्ञान और अनुभव का उपयोग करते हुए बैंकिंग क्षेत्र में अपनी जगह बनाई।
रिटायरमेंट के बाद की नई शुरुआत
पारेख ने अपनी नई यात्रा की शुरुआत की जब अधिकांश लोग रिटायरमेंट के बाद आराम करने लगे। 66 साल की उम्र में, उन्होंने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी की स्थापना की, जो मिडिल क्लास लोगों को होम लोन देती थी। 1977 में उन्होंने HDFC की स्थापना की और 1978 में पहला लोन दिया। यह एक नई दिशा में कदम था, जो उनकी और लाखों परिवारों की जिंदगी बदल देगा।
तेजी से बढ़ता कारोबार
पारेख कभी पीछे नहीं देखा। 1984 तक, अगले छह वर्षों में, उनकी कंपनी ने 100 करोड़ रुपये का लोन दिया। HDFC ने अपनी सोच और परिश्रम से बैंकिंग क्षेत्र में एक बड़ा नाम बनाया। उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें 1992 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। आज HDFC लाखों लोगों के सपनों को साकार करने वाली एक कंपनी है। पारेख के नेतृत्व में, कंपनी ने सीधे 1.77 लाख लोगों को काम दिया है।
सफलता की नई कहानी
30 साल बाद पारेख ने अपनी दोनों कंपनियों, HDFC और HDFC Bank, को मर्ज करने का फैसला किया। यह साहसी कदम था, जिससे कुल कारोबार 41 लाख करोड़ रुपये हुआ। अब जर्मनी की जनसंख्या HDFC Bank के ग्राहकों से अधिक है। मार्च 2023 तक, कंपनी ने 60 हजार करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था। यह सिर्फ एक कंपनी की सफलता नहीं है; यह लाखों लोगों के सपनों को भी साकार करने की कहानी है जो अपना घर चाहते थे।
एचटी पारेख की यात्रा बताती है कि हमारे अंदर असंभव को संभव बनाने की शक्ति है। कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता जब हम अपनी मेहनत पर विश्वास करते हैं और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं। पारेख ने दिखाया है कि साहस, समर्पण और सच्ची मेहनत के साथ किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं।

