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RBI Rule : अगर नहीं भर पा रहे लोन का पैसा तो आरबीआई देता है 5 अधिकार, जारी हुई गाइडलाइन

RBI Rule : कभी-कभी पैसे की कमी के कारण कुछ लोगों को लोन की EMI (EMI) समय पर नहीं चुकानी चाहिए।  बैंकों ने ऐसी स्थिति में उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर सकते हैं, जो उनकी वित्तीय स्थिति को और भी खराब कर सकता है..।  ऐसे हालात में अलग-अलग नियम और प्रावधान हैं।  जो आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं

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RBI Rule : अगर नहीं भर पा रहे लोन का पैसा तो आरबीआई देता है 5 अधिकार, जारी हुई गाइडलाइन

Saral Kisan, RBI Rule : जब कोई आम आदमी होम लोन या पर्सनल लोन की EMI नहीं चुका पाता, बैंक या लोन देने वाली संस्थाएं उसे परेशान नहीं करतीं।  ऐसी स्थिति में कई नियम और प्रावधान हैं, जिनसे ऋणी के अधिकारों को बचाया जाता है और समस्याओं को कम किया जाता है।

 एक्सपर्ट्स कहते हैं कि बैंक कर्ज नहीं चुकाने पर धमका या जबर्दस्ती नहीं कर सकता।  आप लोन वसूलने के लिए रिकवरी एजेंटों से संपर्क कर सकते हैं।  लेकिन ये अपनी सीमा नहीं पार कर सकते।

 थर्ड पार्टी एजेंट इस तरह से ग्राहक से बातचीत कर सकते हैं, लेकिन धमकाने या उन पर दबाव डालने का अधिकार नहीं है।  वे सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक ग्राहकों के घर जा सकते हैं, लेकिन बदसलूकी नहीं कर सकते।  ग्राहक दुर्व्यवहार की शिकायत बैंक में कर सकते हैं।  बैंकिंग ओंबड्समैन से संपर्क किया जा सकता है अगर बैंक नहीं सुनता।  यह उनके अधिकारों को बचाने का एक उपाय है।

 उन अधिकारों को जानें..।

 एक्सपर्ट्स कहते हैं कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अपने कर्ज की वसूली (debt recovery) के लिए सही तरीके अपनाना चाहिए।  सिक्योर्ड लोन के मामले में उन्हें कानूनन गिरवी रखे गए संपत्ति को जब्त करने का अधिकार है।  बैंक, हालांकि, नोटिस के बिना ऐसा नहीं कर सकते।  सिक्योरिटाइजेशन एंड रीकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट (सरफेसी) अधिनियम कर्जदारों को गिरवी एसेट को जब् त करने का अधिकार देता है।

 नोटिस देने का अधिकार 

 डिफॉल्ट करने का अर्थ नहीं है कि आप अपराधी बन सकते हैं या आपके अधिकार छीने जा सकते हैं।  बैंकों को आपका बकाया भुगतान करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होगा।  उन्हें अपनी संपत्ति लेने से पहले लोन चुकाने का अवसर देना होगा।  इस तरह की कार्रवाई अक्सर बैंकों द्वारा 'सिक्योरिटाइजेशन एंड रिस्कंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट्स' के तहत की जाती है।

 लोन लेन वाले को बाद में गैर- 

 जब वह बैंक को 90 दिनों तक किस्त का भुगतान नहीं करता है, तो परफॉर्मिंग एसेट NPA (डूबे हुए कर्ज) में डाला जाता है।  इस मामले में, कर्ज देने वाले को 60 दिन का नोटिस डिफॉल्टर (defaulter) को देना पड़ता है।

 बॉरोअर नोटिस पीरियड में भुगतान नहीं कर पाता है तो बैंक एसेट की बिक्री कर सकते हैं।  एसेट की बिक्री के लिए बैंक को तीस दिन का पब्लिक नोटिस जारी करना पड़ता है।  इसमें बिक्री विवरण होना चाहिए।

 एसेट की बिक्री से पहले बैंक या वित्तीय संस्थान (bank or financial institution) को नोटिस जारी करना चाहिए, ताकि इसका उचित मूल्य प्राप्त किया जा सके।  इस नोटिस में रिजर्व प्राइस, नीलामी की तारीख और समय बताना चाहिए।  यदि संपत्ति को खरीदना चाहते हैं, तो नीलामी प्रक्रिया पर ध्यान देना चाहिए।  लोन चुकाने के बाद लेनदार को अतिरिक्त धन लौटाना होगा।  सभी पक्षों के अधिकार इस प्रक्रिया से सुरक्षित रहेंगे।

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