RBI guidelines : लोन डिफॉल्टर जान ले अपने अधिकार, RBI की गाइडलाइन हुई जारी
Borrower's rights : जब किसी आर्थिक आवश्यकता के तहत बैंक से लोन लिया जाता है, तो हर महीने इसकी ईएमआई चुकानी होती है। यदि किसी कारणवश इसे चुकाया नहीं जा पाता है, तो बैंक कार्रवाई करने लगते हैं। इस स्थिति में लोनधारक (लोन डिफॉल्टर के अधिकार) को वसूली एजेंटों का दबाव भी सहना पड़ता है। लेकिन यह जानना महत्वपूर्ण है कि लोन न चुकाने पर भी लोनधारकों के 5 विशेष अधिकार होते हैं। आरबीआई ने इस विषय में गाइडलाइन (आरबीआई गाइडलाइन लोन ईएमआई) भी जारी की है। हर लोनधारक को इन अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए।

Saral Kisan, Borrower's rights : किसी भी प्रकार का लोन न चुकाना लोनधारक के लिए हानिकारक होता है। इससे उसका सिबिल स्कोर खराब होता है और संपत्ति तक की नीलामी (संपत्ति नीलामी नियम) हो सकती है। हालांकि, इसके बावजूद लोन डिफॉल्टर के कई अधिकार होते हैं, जिनका उपयोग करके वह कई तरीकों से अपनी रक्षा कर सकता है।
यदि लोन चुकाने में असमर्थ हैं, तो यह नहीं है कि बैंक या लोन देने वाला वित्तीय संस्थान मनमानी कर सकता है। लोन डिफॉल्ट (लोन डिफॉल्टर) होने के बाद आपको कई अधिकार मिलते हैं, आइये जानते हैं इनके बारे में इस खबर में।
लोनधारक रख सकता है अपना पक्ष -
लोन डिफॉल्ट होने पर लोनधारक (उधारकर्ता के अधिकार) को बैंक जाकर अपना पक्ष रखने का अधिकार होता है। वह बैंक में लोन न चुका पाने के कारणों को लिखकर बता सकता है। नौकरी छूटने, चिकित्सा आपात स्थिति (चिकित्सा आपात) जैसे कारण उचित माने जाते हैं। इन कारणों को बताया जा सकता है। नोटिस मिलने के बाद भी लोन डिफॉल्टर को यह अधिकार (डिफॉल्टर के अधिकार) होता है कि वह पुनर्प्राप्ति नोटिस (पुनर्प्राप्ति नोटिस) पर जानकारी देते हुए अपनी बात रख सकता है।
वसूली एजेंट नहीं कर सकता मनमानी -
एक लोनधारक या डिफॉल्टर (लोन डिफॉल्टर के अधिकार) को यह अधिकार भी होता है कि कोई वसूली एजेंट उसकी प्राइवेसी यानी निजता को भंग नहीं कर सकता। न ही लोनधारक के साथ वह मनमानी कर सकता है। लोन राशि चुकाने के लिए कर्जदार को वसूली एजेंट (वसूली एजेंट के नियम) दायरे में रहकर ही बात कर सकता है। वह दिन में निर्धारित समय पर ही लोनधारक से मिल सकता है, उसके घर जा सकता है और उसी समय के दौरान कॉल कर सकता है। यह समय सुबह 7 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक का है।
दुर्व्यवहार पर शिकायत करने का अधिकार -
लोनधारक का सम्मान और निजता का अधिकार (लोन वसूली नियम) उसका सबसे बड़ा अधिकार होता है। बेशक लोन डिफॉल्ट (लोन डिफॉल्ट) हो जाए, लेकिन बैंक या वसूली एजेंट ग्राहक से बदतमीजी या दुर्व्यवहार नहीं कर सकते। यदि एजेंट आपसे गलत रवैये से पेश आए, तो आप उसकी बैंक (बैंक समाचार) में शिकायत करने के अलावा उस पर कानूनी कार्रवाई करने तक का अधिकार रखते हैं।
संपत्ति नीलामी की सूचना मिलने का अधिकार -
लोन की बकाया राशि चुकाने में असमर्थ होने पर बैंक इस राशि की वसूली के लिए संपत्ति की नीलामी (संपत्ति नीलामी) जैसा कदम भी उठाता है। नीलामी के लिए बैंक को नोटिस (बैंक नोटिस लोन डिफॉल्ट) के जरिए लोनधारक को सूचना देनी होगी। वह सीधे ही यह कार्रवाई नहीं कर सकता। नोटिस में संपत्ति के लिए उचित मूल्य, नीलामी के समय और तारीख का विवरण भी दिया जाना जरूरी है। यदि आपको नीलामी के लिए आपकी संपत्ति का मूल्य (संपत्ति मूल्यांकन) कम लगता है, तो आप आपत्ति जताने का अधिकार रखते हैं।
लोन राशि से ऊपर की रकम पाने का अधिकार -
णण के बदले गिरवी रखी गई संपत्ति की नीलामी (संपत्ति नीलामी नियम) के दौरान यदि कीमत लोन राशि से अधिक लगी है, तो आप उसमें से लोन राशि के अलावा बाकी रकम पाने के हकदार हैं। संपत्ति का मूल्य हर दिन घटता-बढ़ता रहता है, इसलिए इसका मूल्य लोन राशि से अधिक हो सकता है। इसके लिए आप नीलामी प्रक्रिया (संपत्ति नीलामी प्रक्रिया) पर नजर रखें।