Loan Default : अगर बैंक ने लोन नहीं भरने पर जब्त कर ली प्रोपर्टी, तो ऐसे रुकेगी नीलामी
Bank Loan Rule : आज लोन प्राप्त करना बहुत आसान हो गया है। बैंक आसानी से लोन देते हैं जब भी किसी को पैसे की जरूरत होती है। लेकिन चुकाने की शर्तें और समय होते हैं। बैंक लोन का भुगतान करने के लिए आपकी संपत्ति को नीलाम कर सकता है अगर आप किसी कारण से किस्त नहीं भर पाते हैं। प्रॉपर्टी नीलामी की नौबत अचानक नहीं आती है। बैंक पहले से ही लोन चुकाने के कई अवसर देता है। अंततः यह निर्णय लिया जाता है। लोन नहीं चुका पाने पर कर्जदार को कुछ अधिकार भी मिलते हैं। नीचे खबर में जानें:

The Chopal, Bank Loan Rule : हर व्यक्ति अपना खुद का घर चाहता है। वह जीवन भर इसके लिए धन बचाता रहता है। लेकिन आज प्रॉपर्टी की कीमतें काफी बढ़ चुकी हैं, इसलिए लोग लोन का सहारा लेते हैं। आजकल होम लोन जैसे ऋण आसानी से उपलब्ध हैं। होम लोन का अमांउट बड़ा होता है, इसलिए आपको किसी संपत्ति को बैंक के पास गारंटी के तौर पर रखना होगा।
दरअसल, बैंक इसे अपनी सेफ्टी के लिए करते हैं। बैंक घर या संपत्ति को नीलाम करके लोन का भुगतान करता है अगर लोन लेने वाला व्यक्ति कर्ज का भुगतान नहीं कर पाता है।
याद रखें कि एक किस्त बाउंस (Instalment Bounce) होने पर बैंक आपकी संपत्ति को जप्त नहीं करेगा। इसमें एक पूरी प्रक्रिया शामिल है। लोन लेने वाले व्यक्ति को प्रॉपर्टी नीलामी नियम (Property Auction Rule) को जानना चाहिए ताकि वे अपने अधिकारों को समझ सकें यदि जीवन में ऐसी स्थिति आ भी जाती है।
बैंक संपत्ति कब्जा करता है:
प्रॉपर्टी खरीदने या किसी अन्य उद्देश्य के लिए बैंक से लिए गए लोन का समय पर भुगतान करना होगा। यदि आप होम लोन का भुगतान समय पर नहीं करते हैं, तो बैंक आपकी संपत्ति को जप्त कर लेगा। ताकि अपने लोन का भुगतान कर सके। इसके बावजूद, ऐसा कभी नहीं होता अगर आप एक EMI का भुगतान नहीं करते और बैंक आपकी संपत्ति को अधिग्रहण कर लेता है।
कर्ज नहीं चुकाने पर बैंक कर्जदार को कई अवसर देता है। बैंक भी कई बार नोटिस जारी करता है। इसके बाद भी, अगर कर्जदार किस्त नहीं चुका रहा है, तो नीलामी ही अंतिम विकल्प होता है। अगर संपत्ति को किसी तरह से बेचने की जरूरत आ ही जाती है, तो कर्जदार के पास कई विकल्प होते हैं। जिनकी मदद से वह अपनी संपत्ति को नीलाम होने से बचाने में सक्षम होगा।
बैंक कि ओर से रिमाइंडर भेजा जाता है अगर कोई कर्जदार लगातार दो महीने तक लोन की किस्त नहीं भुगतान करता है ग्राहक को रिमाइंडर के बाद भी कानूनी नोटिस भेजा जाता है अगर कर्जदार तीसरी किस्त नहीं देता है। फिर भी, बैंक प्रॉपर्टी को एनपीए (property NPA) घोषित करता है और लोन लेने वाले व्यक्ति को डिफॉल्टर घोषित करता है यदि EMI का भुगतान नहीं किया जाता है।
संपत्ति नीलामी के नियम
ऐसा नहीं होता कि एनपीए घोषित होने के बाद संपत्ति को नीलाम कर दिया जाएगा। दरअसल, एनपीए की तीन श्रेणियां होती हैं। पहला सबस्टैंडर्ड असेट्स, कर्जदार को लोन चुकाने के लिए बारह महीने का समय दिया जाता है। हर लोन में यह समय अलग हो सकता है। दूसरा, संदेहपूर्ण संपत्ति है
यदि कोई व्यक्ति 90 दिनों से अधिक समय तक लोन की किस्त का भुगतान नहीं करता है, तो वह अयोग्य संपत्ति की श्रेणी में आ जाएगा। इसके बाद तीसरी बात लॉस असेट्स होती है। इसमें डाउटफ़ुल असेट्स की श्रेणी में रखा जाता है अगर लोन लेने वाला व्यक्ति 12 महीने के बाद भी कर्ज का भुगतान नहीं करता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि संपत्ति को लॉस असेट श्रेणी में आने के बाद ही नीलाम किया जाएगा। बैंक नीलामी के लिए आम नोटिस जारी करता है।
नीलामी कब रोकी जा सकती है—
बैंक प्रॉपर्टी नीलामी नियमों के अनुसार, किसी भी बैंक को प्रॉपर्टी की कीमत बताते हुए नोटिस जारी करना होगा। इसमें रिजर्व प्राइस, नीलामी की तिथि, समय और शर्तों का उल्लेख होना चाहिए। बैंक संपत्ति की नीलामी को चुनौती दे सकता है अगर उसे लगता है कि संपत्ति की कीमत कम रखी गई है।
यदि आप लोन की शर्तों को नहीं चुका रहे हैं और बैंक आपकी संपत्ति को नीलाम कर देता है, तो इस पूरी प्रक्रिया पर ध्यान दें क्योंकि बैंक को नीलामी करके लोन की रकम वसूलने के बाद बची हुई राशि को कर्जदार को देने का अधिकार होता है, और बैंक को वह राशि लौटानी होती है।