Income Tax Notice : टैक्सपेयर्स हो जाएं सतर्क, इनकम टैक्स विभाग को ऐसे पता चलेगी चालाकी, फिर मिलेगा नोटिस

Saral Kisan, Tax Explainer : अब इनकम टैक्स विभाग नवीनतम तकनीक और सिस्टम का उपयोग करता है। विभाग को अब तक कई शिकायतें मिली हैं कि फर्जी दस्तावेजों से टैक्स बचाया जाता है, जिससे कई मामले भी जांच में सामने आए हैं। इसलिए विभाग अब पहले से अधिक सावधान और कठोर हो गया है। वास्तव में, करदाता चाहे कितनी भी चालाकी करे, विभाग उसे पकड़ लेगा।
करदाताओं को अक्सर टैक्स छूट नियम मिलते हैं। करदाताओं को इन्श्योरेंस, FD, रेंट आदि पर भी टैक्स छूट मिलती है। इनमें कोई गड़बड़ी होती है तो विभाग उसे रडार पर लेता है और एक नोटिस भेजता है। आयकर विभाग इस समय गड़बड़ी के मामले पकड़ते हुए धड़ाधड़ नोटिस भेजने में लगा है। इसलिए करदाताओं को सतर्क रहना चाहिए और आयकर नियमों का पालन करना चाहिए।
यह योजना विभाग ने बनाई है-
टैक्स मामलों के जानकारों का कहना है कि इनकम टैक्स विभाग सालाना कमाई के आंकड़ों (सालाना आय विवरण) के साथ करदाता के खर्चों का मिलान भी करता है। अब विभाग ने आईटीआर में टैक्स छूट पाने के लिए किए जाने वाले दावों को फॉर्म-26एएस के साथ मिलान करना शुरू कर दिया है।
फर्जी मामलों को पकड़ना अब आसान हो गया है। यदि कोई करदाता रेंट स्लिप के माध्यम से हाउस रेंट अलाउंस (HRA) पर टैक्स छूट का दावा करता है, तो इसका मिलान मकान मालिक की आय की डिटेल से भी किया जाता है। सारा मामला किरायेदार और मकान मालिक की एनुअल इनकम स्टेटमेंट (AIS) से तुरंत पकड़ में आ जाता है।
ऐसे कसा जा रहा है शिकंजा -
टैक्स छूट पाने के लिए फर्जीवाड़ा करना महंगा है। आज की तकनीक में आप विभाग की रडार पर तुरंत आ जाएंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि AI ऐसे फर्जीवाड़े तुरंत पकड़ लेता है और संबंधित करदाताओं पर कार्रवाई करता है।
AI कमाई और खर्चों को मिलान करने में जल्दी काम करता है और झूठ चुटकी में पकड़ में आता है। रेंट स्लिप के माध्यम से भी कई लोग इनकम टैक्स छूट का दावा करते हैं, इसलिए विभाग ने कई नए नियम बनाए हैं, जिससे फर्जी तरीके से टैक्स छूट पाने वाले फंस जाते हैं। हर व्यक्ति इन नियमों का पालन करना अनिवार्य है।
विभाग ने कई नियम बनाए हैं-
विभाग ने कई नियम बनाए हैं जो करदाताओं और अन्य लोगों के फर्जीवाड़े को नियंत्रित करते हैं। इन नियमों के जाल में लोग फर्जीवाड़ा करते हैं। रेंट स्लिप, या फर्जी रेंट स्लिप, अक्सर टैक्स छूट का दावा करता है। इसके लिए कंपनी हाउस रेंट अलाउंस (HRA) देना अनिवार्य है। कई करदाता इसमें फर्जीवाड़ा करने की कोशिश करते हैं, इसलिए वे भी पकड़ में आ जाते हैं।
निर्माता से डिक्लेरेशन की मांग
नियोक्ता हर साल कर्मचारी से HRA के लिए डिक्लेरेशन मांगता है। इसमें कर्मचारियों की किराये की जगह दिखाई देती है। इसमें मकान मालिक, किराया आदि विवरण हैं। इसके बाद HRA की रकम टैक्स फ्री आय कानून के दायरे में आ जाती है। HRA पर टैक्स छूट कर्मचारी को मिलती है और इस कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता।
इस स्थिति में पैन कार्ड देना चाहिए
किसी मकान में रहते हुए कर्मचारी को घर का किराया चुकता करना होता है, जो टैक्स से छूट है। इसके अलावा, कंपनियां HRA देती हैं। 1 लाख से अधिक वार्षिक किराया होने पर मकान मालिक को पैन कार्ड देना होगा। जब करदाता किराये पर टैक्स छूट लेता है, तो मकान मालिक के पैन कार्ड से उसके AIS में इसकी पूरी जानकारी मिलती है। किराया नहीं भुगतान किया गया है तो इनकम टैक्स विभाग (IT) को तुरंत पता चलेगा और आपको नोटिस मिलेगा।
रेंट एग्रीमेंट की मांग-
1 लाख रुपये से अधिक किराया (टैक्स छूट पर किराया) अक्सर कम दिखाया जाता है। यह गड़बड़ी तुरंत पकड़ में आती है। कर्मचारी से HRA का विवरण लिया जाता है। इसमें एक रेंट एग्रीमेंट देना होगा। इस रेंट एग्रीमेंट में मकान मालिक का नाम, पता और पैन कार्ड की जानकारी शामिल हैं।
टैक्स से बचने के लिए कोई व्यक्ति 1 लाख रुपये से कम किराया चुकाने का दावा करता है, तो PAN या मकान मालिक के पैन की डिटेल से फर्जीवाड़ा पकड़ा जाता है। लोग अक्सर सोचते हैं कि मकान मालिक का पैन कार्ड नहीं मांगा गया है, लेकिन HRA की डिटेल में यह पहले से ही दिया गया है।