फुटपाथ से लेकर सालाना लाखों की कमाई तक का सफर, जाने दिव्यांग दंपति के व्यवसाय की कहानी
Saral Kisan : दिव्यांगता समाज में कुछ लोगों के लिए अभिशाप हो सकती है, तो कुछ लोगों के लिए वरदान भी हो सकती है। दृढ़ इच्छा होने पर कुछ भी करना संभव है। लखीसराय के एक दंपति ने कुछ ऐसा ही किया है। दोनों पैर से दिव्यांग हैं, लेकिन दिव्यांगता को अभिशाप मानने वालों के लिए एक मिसाल पेश की है।
झुलोना गांव के तिजौरी साव और उनकी पत्नी कुमकुम देवी को बहुत मुसीबत का सामना करना पड़ा। उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई थी, और दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिलती थी। लेकिन अब ये पति-पत्नी मुर्गी पालन कर अच्छी कमाई कर रहे हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति सुधार रहे हैं।
इलाज के दौरान बेची गई संपत्ति
तिजौरी साव ने बताया कि उसके दोनों पैर अक्षम हैं। पिता जी के पैर का उपचार करने में बहुत पैसा खर्च हुआ और सारी संपत्ति बिक गई। उसकी आर्थिक हालत इतनी खराब हो गई कि उसे घर छोड़ना पड़ा। 22 साल पहले जब मैंने घर छोड़ दिया, मैंने सोचा कि दिव्यांगता की आड़ में इधर-उधर भटकने और दूसरों से मांग कर भोजन करने की बजाय खुद को मेहनत करना चाहिए।
पति-पत्नी फुटपाथ पर सो रहे थे
आगे कहा कि कुछ समय बाद फुटफाट पर दुकान लगाना शुरू किया, जो सफल रहा। बाद में कुमकुम कुमारी से विवाह हुआ। कुमकुम ने कहा कि पति-पत्नी ने बहुत संघर्ष किया है। 9 वर्ष तक घर नहीं था, इसलिए फुटपाथ पर सोते रहे। जैसे-जैसे हालात सुधरते गए, मुर्गी पालन शुरू कर दी। यह व्यापार शुरू हुआ। पीछे मुड़कर नहीं देखा।
7 लाख रुपये सालाना मुर्गी पालन से कमाई
तिजौरी साव ने कहा कि पुराने दिनों को याद करते हुए आंखों में आंसू आते हैं। फुटपाथ पर दुकान चलाते हुए, पहले छोटे-छोटे मुर्गी पालन शुरू किया और फिर इसे बेचने के लिए एक दुकान भी खोली। दुकान कब बड़ी मुर्गी बन गई पता नहीं चला। तिजौरी साव और उनकी पत्नी चार सौ मुर्गियों का पालन कर रहे हैं। अब खुद का बड़ा स्टोर भी है। इस मुर्गी पालन से 7 लाख रुपये प्रति वर्ष मिलते हैं।
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