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निर्यातक ब्याज सब्सिडी योजना दो महीने बढ़ी, FIEO ने कहा गैर एमएसएमई निर्यातकों के लिए निराशाजनक

Policy News :केंद्र सरकार ने निर्यात पूर्व और निर्यात पश्चात रुपया निर्यात ऋण पर ब्याज समतुल्यता योजना को दो महीने यानी 31 अगस्त तक बढ़ा दिया है। यह योजना 30 जून को समाप्त हो रही थी। 30 जून के बाद गैर एमएसएमई निर्यातकों के दावों पर विचार नहीं किया जाएगा।
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निर्यातक ब्याज सब्सिडी योजना दो महीने बढ़ी, FIEO ने कहा गैर एमएसएमई निर्यातकों के लिए निराशाजनक

Policy News : केंद्र सरकार ने निर्यात पूर्व और निर्यात पश्चात रुपया निर्यात ऋण पर ब्याज समतुल्यता योजना को दो महीने यानी 31 अगस्त तक बढ़ा दिया है। यह योजना 30 जून को समाप्त हो रही थी। 30 जून के बाद गैर एमएसएमई निर्यातकों के दावों पर विचार नहीं किया जाएगा। वहीं फेडरेशन ऑफ इंडिया एक्सपोर्टर्स ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने कहा कि यह गैर एमएसएमई निर्यातकों के लिए निराशाजनक है, जो 410 उत्पाद श्रेणियों के तहत आयात कर रहे हैं। इससे श्रम आधारित निर्यात प्रभावित हो सकता है। कुछ बड़ी कंपनियों के ऐसे उत्पादों का निर्यात भी प्रभावित हो सकता है।

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने जारी किया नोटिस कहा, यह विस्तार केवल एमएसएमई निर्यातकों के लिए लागू है। विस्तारित अवधि के लिए योजना का कुल परिव्यय 750 करोड़ रुपये तक सीमित है। पिछले साल 8 दिसंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस योजना को 30 जून तक जारी रखने के लिए 2,500 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन को मंजूरी दी थी। निर्यातकों को निर्यात से पहले और बाद में रुपया निर्यात ऋण के लिए ब्याज समानीकरण योजना के तहत सब्सिडी मिलती है। यह योजना एक अप्रैल 2015 से पांच साल के लिए शुरू की गई थी। इसके बाद इसे जारी रखा गया।

राजस्थान के निर्यातकों ने कहा, दीर्घकालिक नीति होनी चाहिए

जयपुर परिधान निर्यातकों के संगठन गियर के अध्यक्ष जाकिर हुसैन ने कहा कि दीर्घकालिक नीति घोषित होनी चाहिए थी। दो महीने के विस्तार से कुछ नहीं होगा।  सब्सिडी योजना का लाभ सभी निर्यातकों को मिलना चाहिए, क्योंकि 45 दिन के भीतर भुगतान की बाध्यता ने कई निर्यातकों को एमएसएमई से बाहर कर दिया है। वहीं, मार्बल ग्रेनाइट निर्यातक सुरेंद्र जैन का कहना है कि इस योजना से एमएसएमई निर्यातकों को लाभ मिलेगा, फिर भी सरकार को सभी श्रेणी के निर्यातकों के लिए सब्सिडी योजना और कम ब्याज दरों पर ऋण की व्यवस्था करनी चाहिए।

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