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आपका पैसा इस बैंक में रहेगा सुरक्षित, जानिए इस बेस्ट बैंक का नाम

आम लोग अपनी मेहनत से कमाई को बैंकों में जमा करते हैं ताकि उनका धन सुरक्षित रहे और जब कोई समस्या आए तो इसका उपयोग किया जा सके। लेकिन अक्सर बैंक डूब जाता है और पैसा जमा करने वाले को कुछ भी नहीं मिलता। चलिए जानते हैं कि आपके पैसे को जमा करने के लिए कौन सा बैंक सुरक्षित है और अगर बैंक डूब भी जाए तो पैसा वापस कैसे मिलेगा। 

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Your money will be safe in this bank, know the name of this best bank

Saral Kisan News : आम लोग सरकारी बैंकों पर भरोसा करते हैं। इन बैंकों में वे अपनी गाढ़ी कमाई सुरक्षित जमा करते हैं। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। सरकारी बैंकों के नियमों में पिछले कुछ वर्षों में बहुत बदलाव हुआ है। वर्तमान निजीकरण के दौरान, सरकार इन सार्वजनिक बैंकों में अपनी हिस्सेदारी लगातार कम कर रही है। बीते कुछ वर्षों में, उसने कई सरकारी बैंकों को बंद कर दिया है। कई अन्य सरकारी बैंकों का विलय हो गया है। ऐसे में सबसे सुरक्षित सरकारी बैंक का निर्णय करना मुश्किल है।

देश में दो प्रकार के सरकारी बैंक हैं। एसबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य बैंकों में से एक यह सबसे बड़ा अंतर है कि एसबीआई को 1955 के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एक्ट के तहत बनाया गया था। यह पहले इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया था। ब्रिटिश शासन ने 1806 में इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया बनाया था।

आजादी के बाद इसी इंपीरियल बैंक को 1955 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बनाया गया। जबकि अन्य सार्वजनिक बैंकों को अधिग्रहण किया गया था। 1970 और 1980 के बैंकिंग कंपनीज (अधिकग्रहण और कंपनी का हस्तांतरण) कानून ने इन्हें बनाया। भारत सरकार ने उस समय मौजूद निजी बैंकों को इन दोनों कानूनों के तहत अधिग्रहण कर लिया था। तकनीकी अंतर होने के बावजूद, ये सभी बैंक कामकाज और विश्वसनीयता के मामले में लगभग समान हैं।

उदारीकरण के बाद परिवर्तित नियम

इसके बाद, 1991 में देश में उदारीकरण की प्रक्रिया शुरू होने के बाद 1994 में बैंकिंग कंपनीज अधिनियम में बड़े बदलाव किए गए। कानून में इस बदलाव से पहले, सार्वजनिक क्षेत्र के इन सभी बैंकों में सरकार की पूरी हिस्सेदारी थी। 1994 में कानून में संशोधन के बाद इन सभी बैंकों की न्यूनतम हिस्सेदारी घटाकर 51% हो गई। फिर सरकार ने इसी प्रकार अपनी हिस्सेदारी कम करने लगी। दूसरी ओर, सीबीआई है। 1955 के कानून के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की इस बैंक में हिस्सेदारी 55% से कम नहीं हो सकती। आरबीआई देश भर में एसबीआई के एजेंट हैं।

वर्तमान में भारत सरकार का एसबीआई में लगभग 57.5 प्रतिशत हिस्सा है। अन्य पीएसयू बैंकों में भी सरकारी हिस्सेदारी काफी अधिक है। उदाहरण के लिए, भारत सरकार की हिस्सेदारी बैंक ऑफ बड़ौदा में 63.97 प्रतिशत, कैनरा बैंक में 62.93 प्रतिशत, पीएनबी में 73.15 प्रतिशत, इंडियन बैंक में 79.86 प्रतिशत, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में 83.49 प्रतिशत, बैंक ऑफ इंडिया में 81.41 प्रतिशत, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 93.08 प्रतिशत, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 85 प्रतिशत, यूको बैंक में 95.39 प्रतिशत, इंडियन ओवर

इस दृष्टिकोण से सरकार ने एसबीआई और सभी पीएसयू बैंकों पर पूरा नियंत्रण है। लेकिन एसबीआई पूंजी, सेवा, मार्केट हिस्सेदारी और लोन दायित्व पर भारी पड़ता है। एसबीआई कमर्शिलय बैंक होने के अलावा कुछ अन्य काम भी करता है। यह रिजर्व बैंक का जिला स्तर का प्रतिनिधित्व करता है। इसी बैंक में सरकारी काम और खाते होते हैं।

फिर सबसे सुरक्षित बैंक कौन सा है?

स्पष्ट रूप से, बैंकों में सरकारी हिस्सेदारी से बैंक की सुरक्षा नहीं निर्धारित होती। दरअसल, रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया देश भर में बैंकों को नियंत्रित करता है। भारत विश्व की सबसे सुरक्षित और बेहतरीन बैंकिंग व्यवस्थाओं में से एक है। RBI ही बैंकों की देनदारियां, संपत्ति प्रबंधन आदि को देखकर सबसे सुरक्षित बैंक चुनता है। लंबे समय से एसबीआई शीर्ष पर है। एचडीएफसी और आईसीआईसी दो निजी बैंक हैं जो दूसरे और तीसरे स्तर पर हैं। फिर पीएनबी और बैंक ऑफ बड़ौदा चौथे और पांचवें स्थान पर हैं।

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