महिलाओं ने मजबूरी में स्टार्ट किया Maggi का सफर, ऐसे पहुंची विदेश से भारत
मैगी का सफर एक महिला के संघर्ष से शुरू हुआ था। जब इंडस्ट्रियल क्रांति का जमाना स्विट्जरलैंड में था, तब महिलाओं को भी फैक्ट्री में काम करने का अधिकार मिला था....
Saral Kisan : मैगी, जो केवल दो मिनट में तैयार हो जाने वाले नूडल्स के लिए जाना जाता है, आज एक लोकप्रिय और पसंदीदा नाम है। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर कोई इसके स्वाद के दीवाना है। लोगों के लिए मैगी इतना महत्वपूर्ण है कि वे इसके दामों को राशन की कीमत से भी ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मैगी का आइडिया किसने और कैसे आया?
महिलाओं की मजबूरी से शुरू हुआ Maggi का सफर
मैगी का सफर एक महिला के संघर्ष से शुरू हुआ था। जब इंडस्ट्रियल क्रांति का जमाना स्विट्जरलैंड में था, तब महिलाओं को भी फैक्ट्री में काम करने का अधिकार मिला था, लेकिन घर के कामों का भी साथ था। उन्हें फैक्ट्रियों में लंबे समय तक काम करने के बाद घर पर भी खाना बनाना होता था, लेकिन उनके पास समय की कमी थी। तब स्विस पब्लिक वेलफेयर सोसायटी ने इस समस्या का समाधान ढूंढने का काम किया।
कैसे पड़ा इसका नाम
स्विस पब्लिक वेलफेयर सोसायटी ने इस कार्य में जूलियस मैगी से सहायता ली। जूलियस माइकल जोहानस मैगी ने 1872 में महिलाओं की इस समस्या को देखा और आटे से बनी चीजों का निर्माण शुरू किया। लेकिन उनका व्यवसाय कुछ खास प्रकार से नहीं चला। साल 1897 में, उन्होंने ऐसे खाद्य पदार्थ विकसित किए जो त्वरित रूप से पक जाते थे, ताकि महिलाएं जल्दी से खाना बना सकें। इस तरीके से मैगी का आरंभ हुआ था। साल 1897 में, सबसे पहली बार जर्मनी में मैगी नूडल्स पेश किए गए थे। जूलियस मैगी ने अपने नाम पर कंपनी का नाम Maggi रखा था।
कैसे विदेश से पहुंची भारत
दो मिनट में बनने वाली मैगी को लोगों ने खूब पसंद किया। साल 1912 तक, मैगी को अमेरिका और फ्रांस जैसे कई देशों के लोगों ने अपने पसंदीदा बना लिया। मगर उसी साल, जूलियस मैगी का निधन हो गया। उनकी मौत का असर मैगी पर भी पड़ा और लंबे समय तक इसका व्यवसाय धीरे-धीरे चलता रहा। फिर, साल 1947 में, नेस्ले ने मैगी को खरीद लिया और उसकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग ने मैगी को हर घर के किचन में पहुंचा दिया। Nestle इंडिया लिमिटेड ने Maggi को 1984 में भारत में लॉन्च किया था, और उसके बाद से ही इसकी पॉप्युलैरिटी ने कई गुना बढ़ जाने का सफर तय किया।
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