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Wireless Bijli : बिना तारों के ही घरों में आने लगेगी बिजली, प्रोजेक्ट पर काम हुआ शुरू, जानें कब तक संभव

wireless electricity : बिना तारों के बिजली संभव है. यह जानकार आप सायद चौंक गए होंगे लेकिन ऐसा संभव है और प्रोजेक्ट पर काम भी शुरू हो गया है.

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Wireless Electricity: Electricity will start coming to homes without wires, work on the project has started, know when it will be possible.

wireless Bijli : कई लोग भविष्य के प्रोजेक्ट को लेकर दिमाग़ पर जोर डालते हैं और सोचते हैं की ना संभव होने वाला कार्य भी संभव हो सकेगा क्या, अक्सर उनके दिमाग़ की सुई घूमती है ऐसे सवालों को लेकर, सोशल साइट कोरा पर एक ऐसा ही सवाल पूछा गया है कि ‘बिना तार की मदद के हमारे घरों में बिजली कब तक आ सकती लगेगी?’. जिसका जवाब संजय कुमार, हेमंत, वी कुमार रस्तोगी, और अनुराग गौतम जैसे कोरा इस्तेमाल करने वाले सक्रिय यूजर्स ने दिया है.

बिना तारों के बिजली है संभव? 

इसी अटपटे के सवाल के जवाब में बताया गया की ‘बिना तार के घरों में बिजली की सप्लाई होना असंभव है.’ एक अन्य कोरा यूजर वी कुमार रस्तोगी लिखते हैं कि, ‘बिना तार के घरों में बिजली पहुंचाने के काम पर रिसर्च जारी है, निकट भविष्य में आप ऐसी सुविधा का उपयोग करेंगे.’ इसके साथ ही उन्होंने इस टेक्नोलॉजी के आने से रोजगार जैसी दिक्क़तों पर चिंता व्यक्त की. 

प्रोजेक्ट पर शुरू हुआ काम, 

अनुराग गौतम कोरा पर बताया की कि ‘न्यूजीलैंड की सरकार और एमरोड नाम के एक स्टार्टअप के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम कर रही है. अगर यह पार्टनरशिप काम करती है तो इससे बिना तार के बिजली सप्लाई करने का सपना पूरा हो सकता है. बिना तार के बिजली की सप्लाई किसी साइंस फिक्शन की तरह लगता है. लेकिन, इस टेक्नोलॉजी को पहले से ही विकसित किया जा चुका है. अब इसकी उपयोगिता को लेकर केस स्टडी की जा रही है.’

भारत में लगेगा समय, 

उन्होंने आगे लिखते हुआ बताया की हैं कि ‘इन दोनों कंपनियों ने इस टेस्ट के लिए 130 फुट के एक प्रोटोटाइप वायरलेस एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर को तैनात करने की योजना बनाई है. इसे संभव बनाने के लिए एमरोड ने रेक्टिफाइड एंटीना को विकसित किया है. इसे रेक्टिना का नाम दिया गया है. इस एंटीना के जरिए ट्रांसमीटर एंटीना से भेजी जा रही बिजली के माइक्रोवेव को पकड़ा जा सकता है. बताया गया है की ऐसी तकनीकी न्यूजीलैंड के पहाड़ी इलाकों के लिए संजीवनी साबित होगी. रही बात हमारे देश की तो अभी ऐसी टेक्नोलॉजी के आने में काफी समय है, जिस पर बहुत ज्यादा पैसा भी खर्च होगा.’

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