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मेट्रो स्टेशन पर पीले रंग की टाइल्स क्यों लगाई जाती हैं, डिजाइन का क्या मतलब होता हैं

Metro Station Facilities: दिव्यांगजनों को रास्ता दिखाने के लिए मेट्रो स्टेशन पर पीले रंग की टाइल्स लगी हैं।

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Why are yellow tiles installed at the metro station, what is the meaning of the design?
Metro Station Facts: आपने मेट्रो स्टेशन पर पीले रंग की टाइल्स देखी होगी। यदि आपने कभी इनपर चलकर देखा होगा, तो आपने देखा होगा कि वे चिकनी नहीं होते, बल्कि उबड़-खाबड़ होते हैं। ये टाइल्स अक्सर सीधे और गोल आकार के होते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ये टाइल्स मेट्रो स्टेशन पर क्यों लगाए जाते हैं? ज्यादातर लोगों का मानना है कि ये उबड़-खाबड़ टाइल्स इसलिए लगाई जाती हैं ताकि कोई फिसले नहीं. आपको जानकर हैरान हो जाएगा कि ऐसा नहीं है। हम आज इस खबर में आपको बताते हैं कि मेट्रो स्टेशनों पर सीधे और गोल आकार की ये उबड़-खाबड़ टाइल्स क्यों दिखाई देते हैं?

इसलिए होती हैं ये पीले रंग की टाइल्स 

असल में, मेट्रो स्टेशन पर सीधे और गोल आकार की ये उबड़-खाबड़ टाइल्स दृष्टिहीन लोगों के लिए लगाई जाती हैं. इन टाइल्स से बने रास्ते को टैक्टाइल पाथ कहा जाता है, जो लोगों को दिखाई नहीं देता है, उन्हें स्टेशन पर चलाना आसान बनाता है।

किस टाइल का अर्थ है?

मेट्रो स्टेशन पर पीले रंग की गोल टाइल्स रुकने का संकेत देते हैं, जबकि सीधी टाइल्स चलते रहें का संकेत देते हैं। दृष्टिहीन लोगों को टाइल्स स्टेशन पर चलने में ये बहुत मदद करते हैं।

टैक्टाइल पाथ का अन्य फायदा

इन टाइल्स का मेट्रो स्टेशन पर एक अतिरिक्त लाभ भी है। मेट्रो स्टेशन पर कई तरह की केबल, पाइप और वायर चलते हैं। इन्ही टाइल्स इन सभी केबल, पाइप और वायर को ले जाते हैं। ये वायर एक स्थान से दूसरे स्थान को जोड़ते हैं। इनके कनेक्शन में कोई समस्या होने पर टाइल्स को आसानी से हटाकर समस्या को हल किया जाता है। इन टाइल्स को हटाना बहुत आसान है और कनेक्शन ठीक होने पर वापस उनकी जगह लगा दी जाती है।
 

दिव्यांग लोगों के लिए अन्य सुविधाएं

मेट्रो स्टेशन पर दिव्यांगों के लिए कई अतिरिक्त सुविधाएं हैं। स्टेशन पर दिव्यांग लोगों को सीढ़ियों की जगह रैंप और हैंडरेल मिलता है, जिससे वे आसानी से चल सकते हैं। दिव्यांगजनों के लिए मेट्रो में बैठने के लिए भी सीटें उपलब्ध हैं। मेट्रो स्टेशन पर लिफ्ट के बटन पर ब्रेल लिपि में भी लिखा है, जिससे दृष्टिहीन लोग सही बॉटम को छूकर पहचान सकें। यहां दिव्यांगों के लिए अलग से टॉयलेट भी हैं।

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