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रेलवे लाइन की पटरी पर पत्थर बिछाने की वजह क्या है? 92 फीसदी लोग नहीं बता पाएंगे

Indian Railway : भारतीय रेलवे रोजगार देने में दुनिया सबसे ऊपर है. इंडियन रेल्वे की सेवा no1 है। भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसा बड़ा रेलवे नेटवर्क है।
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रेलवे लाइन की पटरी पर पत्थर बिछाने की वजह क्या है? 92 फीसदी लोग नहीं बता पाएंगे

Saral Kisan, Indian Railway : भारतीय रेलवे रोजगार देने में दुनिया सबसे ऊपर है. इंडियन रेल्वे की सेवा no1 है। भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसा बड़ा रेलवे नेटवर्क है। इंडियन रेल्वे ने लगभग 1.4 मिलियन से अधिक लोग रोजगार दे रखा है. इंडियन रेल्वे  हर रोज लगभग 2.5 करोड़ यात्री अपनी यात्रा करके अपनी  मंजिल तक पहुंचते है. भारतीय रेलवे एक से एक बेहतर सुविधा देता है यात्रियों को हर जगह रखता है अच्छी साफ सफाई।

आपने भी किया होगा सफर  

आपने भी कभी न कभी भारतीय रेल में सफर का आनद लिया होगा होगा. इस दौरान आपने रेल की पटरियों के बीच पड़े छोटे-छोटे पत्थर देखे होंगे, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रेल की पटरियों के बीच यह पत्थर क्यों लगाए जाते हैं?

पत्थर क्यों लगाए जाते हैं?

पटरियों के बीच छोटे-छोटे पत्थर बिछाए जाने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण है. शुरूआती दौर में रेलवे ट्रैक का निर्माण स्टील और लकड़ी के पटरों की मदद से किया जाता था, जबकि मौजूदा समय में लकड़ी के पटरों के बदले सीमेंट की आयताकार सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता है.पटरियों के बीच इन पत्थरों को इसलिए बिछाया जाता ताकि ये लकड़ी के पटरों या सीमेंट की सिल्लियों को अपने स्थान पर मजबूती के साथ स्थिर रखें और वे रेलवे ट्रैक को मजबूती के साथ पकड़े रहें. बता दें कि जब ट्रेन चलती है तो उससे जमीन और पटरियों में कंपन पैदा होता है.

इसके अलावा तेज धूप से पटरियां फैलती हैं और सर्दियों में सिकुड़ती हैं. इससे ट्रेन का पूरा भार लकड़ी या सीमेंट की सिल्लियों पर पड़ता है, लेकिन पटरियों के बीच पत्थर बिछे होने के कारण ये सारा भार इन पत्थरों पर चला जाता है. इसके चलते ट्रेन आने पर पैदा होने वाला कंपन खत्म हो जाता है और पटरियों पर पड़ने वाला भार भी संतुलित हो जाता है.

जमीन का नहीं होता नुकसान 

रेल की पटरियों के बीच पत्थर बिछाने की एक वजह यह भी है कि जब भारी-भरकम ट्रेन ट्रैक से होकर गुजरे तो उसके भार का संतुलन बना रहे और जमीन को कोई नुकसान ना पहुंचे. इतना ही नहीं इन पत्थरों के बिछाने से बारिश का पानी पटरियों के बीच से आसानी से बहता है और पटरियों के बीच कीचड़ नहीं बनती. इसके अलावा रेल की पटरियों के बीच बिछने वाले पत्थर ध्वनि प्रदूषण को रोकना का काम भी करते हैं.

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