Railway में आऊटर सिग्नल का क्या होता है मतलब, करीबन के पास है इसकी गलत जानकारी
Saral Kisan: रेलवे का यह नियम है, यात्रियों के लिए सुविधा बनने के बजाए मुसीबत भी बन सकता है. रेलवे का मुख्य लक्ष्य यात्रियों को सही समय पर उनके गंतव्य तक पहुंचाने का होता है, परंतु यह नियम मंशा पर पानी फेर देता है. दरअसल, हम बताते हैं आउटर पर ट्रेन रोकने का होता है कि गाड़ी समय पर स्टेशन पर पहुंच चुकी है और कुछ दूर पहले ही आउटर पर रोकी जाती है. आखिर यह कैसा नियम है और इसे क्यों बनाया जाता है, हम इसकी पूरी जानकारी देंगे.
ऐसे स्टेशन पर जहां 2 आस्पेक्ट वाले सिग्नल हों वहां ट्रेन को प्लेटफॉर्म पर लाने से पहले अगर रोकना हो तो सबसे पहले आउटर सिग्नल पर ही रोका जाता है. यह स्टेशन पर आने से पहले ट्रेन का पहला स्टॉप साइन होता है. इसे स्टेशन से ठीक-ठाक दूरी पर बनाया जाता है. अगर आउटर सिग्नल मौजूद नहीं है तो ट्रेन का पहला स्टॉप सिग्नल होम सिग्नल होता है.
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आउटर सिग्नल को होम सिग्नल से भी अच्छी-खासी दूरी दी जाती है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अगर ट्रेन को होम से पहले कहीं रोकने की जरूरत पड़े तो आराम से रोक दिया जाए. इस एरिया को ब्लॉक ओवरलैप कहा जाता है. रेलवे जानकारों के मुताबिक, अब बहुत कम ही ऐसे स्टेशन बचे हैं जहां से पहले आउटर सिग्नल लगा हो.
इसका सीधा सा जवाब यह है कि जिस प्लेटफॉर्म पर ट्रेन को जाना है वहां पहले से कोई गाड़ी मौजूद है. इसलिए ट्रेन को आउटर पर रोक दिया जाता है. भले ही आपकी गाड़ी सही टाइम पर पहुंची हो लेकिन आगे कोई और ट्रेन उसी प्लेटफॉर्म पर है तो जाहिर है कि आपको आगे नहीं जाने दिया जाएगा.
इसलिए कई बार लोग जो असमंजस में रहते हैं कि सही टाइम पर पहुंचने के बाद भी उनकी ट्रेन आउटर पर क्यों है तो इसका यही कारण है. ऐसा तब भी हो सकता है जब आपकी ट्रेन के लिए फिक्स्ड प्लेटफॉर्म खाली हो लेकिन आपके आगे कोई और ट्रेन खड़ी हो जिसे अपने फिक्स्ड प्लेटफॉर्म पर पहुंचने के लिए रास्ता नहीं मिल रहा हो.