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बिना ऑक्सीजन के बिना ही जलेगा कचरा, काशी में नवंबर से प्लांट का होगा शुभारंभ

वाराणसी के रमना में निर्माणाधीन वेस्ट टू चारकोल प्लांट एक विशेष प्रकार का कचरा प्रबंधन प्लांट है, जिसमें बिना ऑक्सीजन के कचरे को जलाकर निस्तारित किया जाएगा। इस तकनीक से कचरा राख में परिवर्तित न होकर अपनी उपयोगिता बरकरार रखेगा, और इसका उपयोग बिजली उत्पादन में किया जा सकता है
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Garbage will burn without oxygen, plant will be inaugurated in Kashi from November

Saral Kisan- वाराणसी के रमना में निर्माणाधीन वेस्ट टू चारकोल प्लांट एक विशेष प्रकार का कचरा प्रबंधन प्लांट है, जिसमें बिना ऑक्सीजन के कचरे को जलाकर निस्तारित किया जाएगा। इस तकनीक से कचरा राख में परिवर्तित न होकर अपनी उपयोगिता बरकरार रखेगा, और इसका उपयोग बिजली उत्पादन में किया जा सकता है। यह एक थर्मोकेमिकल प्रक्रिया है जिसमें ऑक्सीजन की उपलब्धि के बिना आर्गेनिक पदार्थों और प्लास्टिक को जलाया जाता है और उसके गुणों को बरकरार रखा जाता है जिससे उन्हें ईंधन के रूप में दोबारा उपयोग किया जा सकता है।


इस प्लांट के तहत तीन रिएक्टर होंगे, प्रत्येक रिएक्टर की क्षमता 200 टन कचरे का निस्तारण करने की होगी। यह विधि देश के पहले वेस्ट टू चारकोल अथवा बायोकोल प्लांट में से एक है और इसके माध्यम से रोजाना बड़े पैमाने पर कचरे का निस्तारण हो सकेगा, जिससे दूसरे तरीकों के मुकाबले कचरे के प्रबंधन में सुस्ती की समस्या का समाधान मिलेगा।


बायोकोल प्लांट में कचरे से निकलने वाली गैसों को जहरीले तत्वों से साफ करने के लिए एक अलग चैंबर भी लगेगा, जिससे उन्हें वायुमंडल में छोड़ा जा सकेगा। यह प्लांट खास यह भी कि गैसों के जहरीले तत्वों को निस्तारित करने के लिए एक विशेष तकनीक का इस्तेमाल करता है।यह प्लांट नगर आयुक्त शिपू गिरि ने विशेष रूप से योजना की गई है और बिजली उत्पादन में एनटीपीसी को उनकी बिजली आपूर्ति को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इस प्लांट के माध्यम से 600 टन क्षमता का प्लांट बनाया गया है, और इसका उपयोग देश में कचरे के प्रबंधन को सुविधाजनक और पर्यावरण से सहज बना सकता है

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