Vadraj Cement Deal: 28 बैंकों को 23000 करोड़ का लगाया चूना, पढ़ें इस शख्स की अर्श से फर्श तक की कहानी
Vadraj Cement Deal: मीडिया में वदराज सीमेंट की बिक्री खबर आने के बाद ऋषि अग्रवाल एक बार फिर से चर्चा में हैं. पहले एबीजी सीमेंट लिमिटेड के नाम से पहचानी जाने वाली वदराज सीमेंट, एबीजी शिपयार्ड ग्रुप की कंपनी है...
Rishi Agarwal Networth: मीडिया में वदराज सीमेंट की बिक्री की खबर के बाद फिर से ऋषि अग्रवाल चर्चा में हैं। एबीजी शिपयार्ड ग्रुप की कंपनी वदराज सीमेंट है, जो पहले एबीजी सीमेंट लिमिटेड कहलाता था। इस ग्रुप के पूर्व प्रमोटर ऋषि अग्रवाल हैं। ऋषि ने रात-दिन काम करके तेजी से सफलता हासिल की। लेकिन, उनकी कंपनी के कर्ज में डूबने के बाद अब वह बिक्री की कगार पर है। कभी-कभी हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक पर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की। उन पर 28 बैंकों से लगभग 23000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। 2022 में भी सीबीआई ने उनको गिरफ्तार कर लिया।
ऋषि अग्रवाल चतुर दिमाग के धनी हैं—
ऋषि अग्रवाल को उनके बेहद शालीन व्यवहार और हर काम को किसी भी तरह पूरा करने की आदत से जाना जाता है। ऋषि अग्रवाल, पुर्डू यूनिवर्सिटी में फाइनेंस की पढ़ाई करने वाले 57 साल के चतुर दिमाग के धनी हैं, उनके नजदीकियों का कहना है। उनके पास देश का सबसे बड़ा निजी क्षेत्र का एबीजी शिपयार्ड था। एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि कामयाबी के लिए शॉर्टकट अपनाने का जुनून उन पर हावी हो गया।
1985 से ऐसे शुरू हुई कहानी-
उनकी सफलता की असली कहानी 1985 में उस समय शुरू हुई जब अग्रवाल ने गुजरात में मगडाला शिपयार्ड में एक छोटी जहाज निर्माण फैक्ट्री खरीदी. 1990 से लेकर करीब एक दशक में उनकी फर्म ने 165 से ज्यादा जहाज बनाए. इनमें से अधिकांश यूरोप और एशिया के ग्राहकों के लिए थे. 2000 में एबीजी को कोस्ट गार्ड के लिए दो इनसेप्टर बोट तैयार करने का पहला सरकारी ऑर्डर मिला. साल 2011 में उन्हें इंडियन डिफेंस सेक्टर के लिए सबमरीन समेत जहाज बनाने का लाइसेंस मिल गया. इसके बाद 2012 में 16,000 करोड़ रुपये की ऑर्डर के साथ एबीजी देश का नंबर वन जहाज निर्माता बन गया. यह उनकी बुलंदी का साल था.
सरकारी स्कीम का मिला फायदा-
इसके बाद वैश्विक मंदी के कारण कुकी खराब होने लगी. कई ग्राहकों ने अपने ऑर्डर रद्द कर दिए. साल 2006-07 में ग्लोबल शिपिंग में आए बूम के कारण और सरकार की तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी स्कीम के कारण एबीजी कई ऑर्डर लेने में सफल हुई. पांच साल तक चलने के बाद 14 अगस्त 2007 को सब्सिडी योजना खत्म हो गई. इससे कुछ दिन पहले ही एबीजी ने योजना का लाभ लेने के लिए कई ऑर्डर बुक किए थे. बाद में ऑर्डर कैंसिल हुए और यहां से कंपनी के पतन की शुरुआत हो गई. उनकी कंपनी नए शिप बनाने के अलावा शिप की रिपयेर का भी काम करती थी.
सीबीआई के अनुसार, अग्रवाल ने एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक समेत 28 बैंकों के कंसोर्टियम से संबंधित कंपनियों में संपत्ति खरीदने और पैसा ट्रांसफर करने के लिए लोन देना शुरू कर दिया. इसकी पुष्टि फारेंसिक एडवाइजर Ernst & Young (EY) ने भी की. उनकी कंपनी बैंकों से लिये कर्ज का भुगतान नहीं करने के कारण मुसीबत में फंस गया. पिछले दिनों उन पर सीबीआई ने देश के सबसे बड़े बैंक फ्रॉड का मामला दर्ज किया है.
किस बैंक का कितना बकाया-
भारतीय स्टेट बैंक----2,925 करोड़ रुपये
आईसीआईसीआई बैंक----7,089 करोड़ रुपये
आईडीबीआई बैंक----3,634 करोड़ रुपये
बैंक ऑफ बड़ौदा----1,614 करोड़ रुपये
पंजाब नेशनल बैंक----1,244 करोड़ रुपये
इंडियन ओवरसीज बैंक----1,228 करोड़ रुपये
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