उत्तर प्रदेश का रमचौरा केला नेपाल से लेकर इन राज्यों तक है फेमस, 200 साल पुराना है इतिहास
गोरखपुर : रमचौरा गोरखपुर से लगभग 35 किलोमीटर उत्तर में सोनौली रोड पर कैंपियरगंज से पहले है। यहाँ कभी कच्चे केले का शोर था। लेकिन एक फंगस ने यहां की स्थानीय जनसंख्या कम कर दी। योगी सरकार अब जीआई के माध्यम से इसे जीवित करने में लगी है। Experts भी इसे GI race में बता रहे हैं।
पीसी चौधरी करीब तीस वर्ष पहले गोरखपुर में नाबार्ड के प्रबंधक हुआ करते थे। उसने कहा कि मेरी दिली इच्छा है कि इस क्षेत्र में कोई उद्यमी बहुपयोगी केले के प्रसंस्करण का एक प्लांट लगाए। यह इस क्षेत्र में बहुत संभव है। उस समय गोरखपुर और महराजगंज में केला सिर्फ कैंपियरगंज से लगे रमचौरा से मिलता था। इस खाद्य कच्चे केले की बहुत मांग थी। यह नेपाल और बिहार के अलावा सटे हुए जिलों तक जाता था। वाराणसी के आढ़ती फसली सीजन से पहले ही यहां बस गए थे। खेत में फसल देखकर ही सौदा होता था। खेत से माल उठाया जाता था।
केले की पकौड़ी के लिए मीनागंज में लगती थी लाइन
रमचौरा के पास एक स्थान था मीनागंज। वहाँ इसी केले की पकौड़ी और खास चटनी भी मिलती थी। यह चटनी कुनरू (एक छोटी सी सब्जी), पंचफोरन, हरी मिर्च, सेंधा नमक और बिना छिले लहसुन से बनाई गई थी। उन्हें खाने के लिए सड़क के दोनों किनारों पर चार और दो पहिया वाहनों की कतार लगी हुई थी।
कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार के सब्जी वैज्ञानिक डॉक्टर एसपी सिंह ने बताया कि बिल्ट नामक फंगस एकमात्र खेती से मिट्टी में आया था। चूंकि पूर्वांचल में बहुत कम जनसंख्या है इसलिए दूसरे खेत में खेती करना संभव नहीं था। इसलिए इसका रकबा धीरे-धीरे घटता गया।
62 वर्षीय स्थानीय निवासी अनिरुद्ध लाल ने बताया कि यहां केले की खेती का रकबा 25 प्रतिशत पर आ गया है। इसे आसपास के कुछ गांवों में उगाया जाता है। अब उनके पास मंडी तक माल पहुंचना है। रमचौरा के केले का पौने दो सौ साल का इतिहास है, उन्होंने बताया। 1840 में मगहर से कुछ परिवार यहां आए, जो अपने साथ केले की पुत्ती भी लाए थे। फसल के अनुकूल जलवायु और जमीन मिली। गुणवत्ता और उत्पादन के कारण माल की मांग भी थी। इसलिए इसकी खेती बढ़ी। लेकिन उसकी खेती रोग से नष्ट हो गई।
जैसा कि जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री डॉक्टर रजनीकांत बताते हैं, किसी उत्पाद को जीआई टैगिंग मिलने की संभावना बढ़ जाती है अगर उत्पाद का इतिहास पुराना है और ग्राहक उस उत्पाद को स्थानीय नाम से जानते हैं। इन नियमों को रमचौरा का केला पूरा करता है। यह आने वाले समय का संभावित जी आई उत्पाद है, जैसे अन्य उत्पादों। इस पर भी काम शुरू हो गया है।
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