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उत्तर प्रदेश की महिला ने इस तकनीक से उगाया 'कश्मीर का केसर', हो रही तगड़ी कमाई

दृढ़ इच्छाशक्ति से शुभा भटनागर ने उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में साढ़े पांच सौ वर्ग फ़ीट के एक वातानुकूलित हॉल में केसर की खेती शुरू की। उनकी मेहनत और लगन ने केसर की खेती में सफलता हासिल की।
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Woman from Uttar Pradesh grows 'Kashmir Saffron' using this technique, earning huge income

Saral Kisan : जब कोई केसर का नाम लेता है, तो कश्मीर का नाम याद आता है। इसका उत्पादन सिर्फ कश्मीर में भारत में होता है। दरअसल, केसर की खेती की संभावनाएं मैदानी क्षेत्रों में बहुत कम हैं, और यह केवल ठंडे क्षेत्रों और एक विशिष्ट मिट्टी में संभव है। हालाँकि, उत्तर प्रदेश के मैनपुरी की रहने वाली शुभा भटनागर ने तकनीक की मदद से एक हॉल में केसर उगाने में सफलता हासिल की है।

इस तकनीक से मैनपुरी में केसर बोया गया

दृढ़ इच्छाशक्ति से शुभा भटनागर ने उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में साढ़े पांच सौ वर्ग फ़ीट के एक वातानुकूलित हॉल में केसर की खेती शुरू की। उनकी मेहनत और लगन ने केसर की खेती में सफलता हासिल की। शुभा भटनागर का कहना है कि उन्हें कुछ अलग करना पड़ा। इंटरनेट पर केसर की वीडियो देखने के बाद उनके मन में केसर की खेती का विचार आया। इसके लिए उन्होंने कश्मीर के पंपरो से दो हजार किलोग्राम केसर के बीज खरीद लिए। एरोफोनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से अगस्त महीने में केसर के बीज को लकड़ी की ट्रे में बोया गया, और नवंबर महीने में केसर की फसल तैयार हो गई।

25 लाख रुपये का केसर उत्पादन

शुभा भटनागर बताते हैं कि केसर की खेती करने में लगभग २५ लाख रुपये खर्च हुए। वह केसर बाहर नहीं निकालेगी। देश में केसर उत्पादन बहुत कम है। इसे पूरा करना उनका पहला लक्ष्य है। शुभा भटनागर ने कहा कि इस सफल केसर खेती से कई ग्रामीण महिलाओं को काम मिलेगा।

जिलाधिकारी ने भी प्रशंसा की

शुभा बताती हैं कि बेटे अंकित भटनागर और बहू मंजरी भटनागर भी उनकी सफलता में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। शुभा भटनागर की केसर खेती बहुत सफल रही है।  शुभा के केसर की खेती को भी जिलाधिकारी मैनपुरी अविनाश कृष्ण सिंह ने सराहना की है।

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