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उत्तर प्रदेश में उपभोक्‍ताओं को बड़ा झटका देने की तैयारी में बिजली विभाग, अब नया कनेक्‍शन लेना दोगुना महंगा

UP News : उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा झटका लगने वाला है। प्रदेश में अब जल्द ही विद्युत सामग्री के दरों में बढ़ोतरी की जाएगी। इसमें से इन बिजली उपभोक्ताओं की सिक्योरिटी तो 100 फीसदी तक के बढ़ाई जाएगी। 

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उत्तर प्रदेश में उपभोक्‍ताओं को बड़ा झटका देने की तैयारी में बिजली विभाग, अब नया कनेक्‍शन लेना दोगुना महंगा

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश में अब बिजली उपभोक्ताओं की जेब अब ज्यादा ढीली होने वाली है। प्रदेश में अब बिजली का नया कनेक्शन लेने पर आपको ज्यादा पैसा चुकाना पड़ेगा। नए बिजली कनेक्शन के लिए पावर कारपोरेशन ने विद्युत सामग्री की दरों को संशोधित करने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। प्रदेश में विद्युत सामग्री की दरों में बढ़ोतरी के साथ-साथ उद्योग को बड़े बिजली उपभोक्ता सिक्योरिटी धनराशि को 100% बढ़ाने का फैसला लिया है। 

30 से 50 फीसदी तक महंगा

प्रदेश में अब नया घरेलू बिजली कनेक्शन लेना 30 से 50 फीसदी तक महंगा होने वाला है। पावर कॉरपोरेशन की तरफ से जो संशोधित कास्ट डाटा बनाया गया है वह प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग में दाखिल कर दिया गया है।

44 प्रतिशत अधिक खर्च

आयोग कास्ट डाटा बुक को सब कमेटी की बैठक में दरों पर व्यापक चर्चा के बाद अंतिम रूप देगा। कम्पनी प्रबंधन ने संशोधित कास्ट डाटा बुक में दो किलोवाट तक कनेक्शन के लिए लेबर और ओवरहेड चार्ज की दर को 150 रुपए से 564 रुपए कर दिया है। इससे छोटे विद्युत उपभोक्ताओं और बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले) लोगों का नया कनेक्शन लगभग 44 प्रतिशत अधिक खर्च होगा।

इसी तरह, गांव के 1 किलोवाट लाइफ लाइन उपभोक्ता को नए कनेक्शन के लिए बिना जीएसटी के 1032 रुपये देने होते थे, जो 1486 रुपये था। शहरों में भी घरेलू कनेक्शन की लागत लगभग 30-35 प्रतिशत बढ़ेगी। प्रस्तावित कास्ट डाटा बुक में एक सिंगल फेज स्मार्ट मीटर की मूल्य 3,822 रुपये है, जबकि एक थ्री फेज स्मार्ट मीटर की मूल्य 6,316 रुपये है।

उत्तर प्रदेश में मौजूदा समय में जो दरें हैं वह साल 2019 की कास्ट डाटा बुक के मुताबिक लागू है। कॉस्ट डाटा बुक की दरों को वैसे तो 3 साल में संशोधित करने की व्यवस्था है लेकिन अब 5 साल बाद दरों को संशोधित करने का निर्णय लिया गया है। आयोग में दाखिल प्रस्ताव में यह भी लिखा है कि अगले दो वर्षों में कास्ट डाटा बुक न बन पाए तो प्रत्येक वर्ष मौजूदा दरों में सात प्रतिशत की बढ़ोतरी स्वतः मान ली जाए, क्योंकि पांच वर्ष पुरानी दरों से कारपोरेशन प्रबंधन को नुकसान हो रहा है।
 

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