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उत्तर प्रदेश का किसान गोबर के बिजनेस से बना लखपति? देखें सफलता की कहानी

उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में जन्मे नागेंद्र पांडेय ने कृषि में स्नातक की डिग्री हासिल की है। स्नातक करने के बाद उन्होंने नौकरी की तलाश करनी शुरू की, लेकिन नहीं मिली।नौकरी के लिए कई वर्षों की मेहनत के बाद, उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन पर खेती करनी शुरू कर दी।

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Farmer of Uttar Pradesh becomes a millionaire from cow dung business? See the success story

Saral Kisan : देश भर में किसान खेती में रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करने से बचने लगे हैं। अब वे जैविक खेती करने लगे हैं। ऐसे में पशुपालकों और किसानों के पास जैविक खाद के उद्यमों से लाभ कमाने का भी अवसर बढ़ा है। नागेंद्र पांडेय वर्मी कंपोस्ट के बिजनेस से हर साल लाखों रुपये कमा रहे हैं, जो उत्तर प्रदेश के जिला महाराजगंज मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर नंदना गांव में है।

नौकरी नहीं मिली तो खेती शुरू की

किसान तक की रिपोर्ट के अनुसार, नागेंद्र पांडेय ने कृषि में स्नातक किया है। स्नातक करने के बाद उन्होंने नौकरी की तलाश करनी शुरू की, लेकिन नहीं मिली।नौकरी के लिए कई वर्षों की मेहनत के बाद, उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन पर खेती करनी शुरू कर दी। उन्हें पता था कि सामान्य तरीके से खेती करके इतनी कम जमीन पर बहुत अधिक पैसा नहीं कमाया जा सकता था। ऐसे में, उन्होंने निर्णय लिया कि जमीन के कुछ हिस्से पर जैविक खाद बनाकर जैविक खेती करेंगे।

2000 में नागेंद्र ने निर्णय लिया कि वे जमीन के कुछ हिस्से पर वर्मी कंपोस्ट बनाकर बाकी हिस्से पर जैविक खेती करेंगे। शुरू में, इस तरह की वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने के लिए उन्हें केंचुओं की आवश्यकता होती थी। उन्होंने इसके लिए कृषि और उद्यान विभाग से संपर्क किया, लेकिन वे यहां से केंचुए नहीं पाए। बाद में उनके एक दोस्त ने उन्हें लगभग चालीस से पच्चीस केंचुए दिए। इन केंचुओं को चारा खिलाने वाली नाद में गोबर और पत्तियों के बीच रखकर 45 दिनों में लगभग दो किलो केंचुए बनाए गए। वर्मी कंपोस्ट ने इसी बेड से शुरूआत की।

वर्मी कंपोस्ट से लाखों की कमाई

नागेंद्र पांडे ने एक बेड से वर्मी कंपोस्ट बनाना शुरू किया था। आज तक वह एक एकड़ में पांच सौ बेड बना चुका है। आज वे 12 से 15 हजार क्विंटल वर्मी कंपोस्ट प्रति वर्ष बनाते हैं। वे लाखों रुपये खर्च करते हैं। नागेंद्र अपने साख से दूसरे किसानों को वर्मी कंपोस्ट बनाने की भी ट्रेनिंग देते हैं। 

 

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