उत्तर प्रदेश में इस जिले के हवाई अड्डे का होगा विस्तार, 3 गावों की जमीन होगी अधिग्रहण, कैबिनेट मीटिंग में हुआ फैसला
UP News : उत्तर प्रदेश लखीमपुर खीरी हवाई अड्डे के विस्तार का रास्ता अब साफ हो गया है। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की कैबिनेट बैठक में इस हवाई अड्डे पर बड़ी अपडेट सामने आई है। लखीमपुर खीरी हवाई अड्डे की विस्तारीकरण के लिए तीन गांव 265.19 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की जाएगी।
Uttar Pradseh News : उत्तर प्रदेश के इस हवाई अड्डे के विस्तार से तीन गाँवों का बड़ा फायदा होने वाला है। प्रदेश में लखीमपुर खीरी हवाई अड्डे के विस्तार का रास्ता साफ हो गया है। इस हवाई अड्डे के विस्तार के बाद यहां पर 72 सीटों वाले विमान भी उड़ान भर सकेंगे।
तीन गांव की 265 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण
लखीमपुर खीरी हवाई अड्डे की विस्तार आसपास के तीन गांव गजरेला, मुजहा और फुलवरिया की 265.19 जमीन अधिकृत की जाएगी। कैबिनेट की तरफ से जमीन अधिग्रहण की मंजूरी मिल चुकी है। इन तीन गांव की जमीन अधिग्रहण के लिए 274.22 करोड रुपए प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है।
नागरिक उड्डयन विभाग
लखीमपुर खीरी हवाई अड्डे को बढ़ाया जाएगा। इससे यहां की पलिया हवाई पट्टी का विस्तार किया जाएगा। जिससे 72 सीटर विमान भी इस स्थान पर उतर सकेंगे। भूमि लागत 274 करोड़ 22 लाख 93 हजार 894 रुपये है। 2 करोड़ 60 लाख 29456 रुपये देय निबंधन शुल्क है। कैबिनेट ने इसे छूट देने का फैसला किया है। नागरिक उड्डयन विभाग अब यह जमीन को मुफ़्त में मिलेगी। हवाई अड्ड़े के विस्तार का बाकी खर्च नागरिक उड्डयन विभाग करेगा।
UP Cabinet से मिली जमीन अधिग्रहण की मंजूरी
इसके लिए जमीन खरीदने के प्रस्ताव को कैबिनेट (UP Cabinet Meeting) ने मंजूरी दी है। भूमि क्रय के लिए प्रस्तावित कीमत 274.22 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली है। कैबिनेट ने देय निबंधन शुल्क में 2.60 करोड़ रुपये की छूट दी है। हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए आसपास के तीन गांव गजरौला, मुजहा और फुलवरिया की 265.19 हेक्टेयर जमीन ली जाएगी। वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि हवाई अड्डे का विस्तार होने पर 72 सीटों वाला विमान भी वहां उतर सकेगा।
कैबिनेट ने नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और जेवर के विस्तारीकरण के लिए अधिग्रहण की गई जमीन से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और पुनर्वास के लिए कई बार वित्तीय स्वीकृतियों, अधिसूचनाओं और शासनादेशों को भी मंजूरी दी है। समय-समय पर परियोजना पर निर्णय लेने का अधिकार मुख्यमंत्री को दिया गया है।