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UP Update : प्रदेश सरकार ने लिफ्ट के इस्तेमाल को लेकर बनाए कड़े नियम, नए एक्ट की तैयारी

UP Government News : अक्सर लिफ्ट में बच्चों की फंसने की खबरे आए दिन सामने आती है। अब यूपी सरकार ने लिफ्ट के इस्तेमाल को लेकर कड़े नियम बनाए हैं, जिससे आए दिन होने वाले हादसों को संख्या में कमी आएगी।
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UP Update: State government made strict rules regarding use of lifts, preparation for new act

Saral Kisan : उत्तर प्रदेश में नोएडा सहित अन्य महानगरों में अक्सर बच्चों के लिफ्ट में फंसने से लेकर हादसों की खबरें सामने आती रहती हैं. कई बार बिजली चले जाने पर लिफ्ट के अचानक बंद होने के कारण काफी देर तक लोगों के फंसे होने के मामले भी सामने आ चुके हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश में इस तरह की दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए प्रभावी पहल की जा रही है।

लिफ्ट से संबंधित हादसों में लोगों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचे, इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार कठोर कानून लागू करने की तैयारी में है. ऊर्जा विभाग ने यूपी लिफ्ट एंड एस्केलेटर एक्ट का प्रारूप तैयार कर लिया है. बताया जा रहा है कि इसमें प्रावधान किया गया है कि बिना रजिस्ट्रेशन के कोई भी उत्तर प्रदश में आने वाले समय में लिफ्ट नहीं लगा सकेगा. इसके साथ ही लिफ्ट या एस्केलेटर से हादसा होने पर एक लाख रुपए जुर्माना और तीन महीने की सजा या दोनों का प्रावधान किया गया है. बताया जा रहा है कि इस प्रस्तावित एक्ट में सभी प्रकार के लिफ्ट और एस्केलेटर आएंगे. व्यापारिक प्रतिष्ठानों, संस्थाओं, सार्वजनिक उपक्रमों के साथ ही सरकारी कार्यालय और संस्थानों में लगने वाली सभी लिफ्ट और संचालक इसके दायरे में होंगे।

लिफ्ट में प्रशिक्षित ऑपरेटर रखना होगा जरूरी

बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में घरेलू लिफ्ट को छोड़कर अन्य सभी लिफ्ट में प्रशिक्षित ऑपरेटर रखना जरूरी होगा. घरेलू लिफ्ट और एस्केलेटर पर कानून का दायरा सीमित रहेगा. बताया जा रहा है कि किसी भी बहु मंजिला इमारत में लिफ्ट लगाने से पहले उसके लिए विद्युत सुरक्षालय निदेशालय में रजिस्ट्रेशन करना होगा. यह रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. लिफ्ट लगने के बाद निदेशालय की टीम लिफ्ट की सुरक्षा का ऑडिट करने पहुंचेगी।

इसके साथ ही लिफ्ट के सालाना रखरखाव, लिफ्ट ऑपरेटर की अनिवार्यता भी रजिस्ट्रेशन की अहम शर्त में शामिल होगी. जो भी कंपनी लिफ्ट लगाने के लिए आवेदन करेगी उसे ऑटो रिस्क डिवाइस वाली लिफ्ट ही लगाने को अनिवार्य रूप से कहा जाएगा, जिससे अचानक बिजली जाने या किसी अन्य तकनीकी खराबी की स्थिति में लिफ्ट बीच में ना अटके और किसी फ्लोर पर आकर रुके इसके साथ ही उसके दरवाजा भी खुद-ब-खुद खुल जाए।

थर्ड पार्टी बीमा कराना होगा जरूरी

इसके साथ ही प्रारूप में लिफ्ट मालिक यां कंपनी की ओर से लिफ्ट का थर्ड पार्टी बीमा कराया जाना भी शामिल होगा, जिससे किसी हादसे की स्थिति में पीड़ित पक्ष को कानूनी तौर पर मुआवजा दिया जाना सुविधाजनक हो सके। आमतौर पर अभी ऐसा नहीं किया जाता है, जिससे दुर्घटना की स्थिति में पीड़ित पक्ष को किसी तरह की कानूनी मदद नहीं मिल पाती है।

कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव रखने की तैयारी

बताया जा रहा है कि लिफ्ट एक्ट के प्रारूप का प्रस्तुतीकरण अपर मुख्य सचिव ऊर्जा महेश कुमार गुप्ता की मौजूदगी में चीफ सेक्रेटरी दुर्गा शंकर मिश्र के समक्ष किया गया है. इसमें एक्ट में शामिल किए गए प्रावधानों की पूरी जानकारी दी गई. माना जा रहा है कि इस प्रस्तावित अधिनियम को जल्द ही कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. इसके बाद विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान भी इसे पेश करने की तैयारी है।

देश के अन्य राज्यों से एडवांस है यूपी का मसौदा

देश में अभी तक तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, केरल, झारखंड, असम हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात ने अपने यहां यह लिफ्ट एक्ट लागू किया है. इन राज्यों के कानून में लिफ्ट की स्थापना रखरखाव, एक निश्चित समय पर जांच जैसे प्रावधान है. कुछ राज्यों में मामूली अर्थ दंड का भी प्रावधान है. कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जो प्रारूप तैयार किया गया है, वह इन राज्यों से कहीं ज्यादा एडवांस और सख्त है।

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