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उत्तर प्रदेश के स्कूलों में आउटसोर्सिंग के जरिए तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी होंगे भर्ती

UP News : उत्तर प्रदेश में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भर्ती को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। प्रदेश के एडिट स्कूलों में अब आउटसोर्सिंग के जरिए कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी। उत्तर प्रदेश के कई विभागों में पहले ही आउटसोर्सिंग के माध्यम से कर्मचारियों की भर्ती की जा रही है। 

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उत्तर प्रदेश के स्कूलों में आउटसोर्सिंग के जरिए तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी होंगे भर्ती

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश में अब आउटसोर्सिंग नीति के माध्यम से तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी। अब प्रदेश में माध्यमिक विद्यालय की तरह अब बेसिक की एडिट स्कूलों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भर्ती अब आउटसोर्सिंग नीति के माध्यम से होगी। इस मामले को लेकर अब प्रशासन को प्रस्ताव भेज दिया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग के महानिदेशक कंचन वर्मा मैं इस मामले को लेकर अधिकारियों को आदेश जारी किए हैं। प्रदेश में कुल सृजित पदों का शासन को इस मामले की पैरवी करने का आदेश जारी हुआ है। 

बेसिक शिक्षा विभाग में 3049 एडिट प्राइमरी और जूनियर विद्यालय

उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग में 3049 एडिट प्राइमरी और जूनियर विद्यालय हैं। इना स्कूलों में 570 पद प्रिंसिपल और 2289 पद शिक्षकों के अभी रिक्त पड़े हैं. बता दें कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के करीब 1000 पद खाली पड़े हैं। DGESE ने कहा कि शासन से समन्वय बनाकर शासनादेश के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाए। बैठक में यह भी चर्चा हुई कि शिक्षकों और प्रिंसिपलों के कई पद खाली हैं, लेकिन शिक्षा सेवा चयन आयोग ही इनकी भर्ती करेगा। नए आयोग की स्थापना के बाद इन पदों को भरने की प्रक्रिया भी शुरू होगी।

दरअसल, एडेड स्कूलों में निजी प्रबंधन है। सिर्फ वेतन का खर्च सरकार उठाती है। यहां, प्रबंधक ही शिक्षकों और कर्मचारियों को नियुक्त करने का अधिकारी है। प्रबंधन तंत्र पहले अपने स्तर से ही भर्ती करता था। शासन की मंजूरी के बाद उसे वेतन मिलने लगा, लेकिन इससे कई शिकायतें आने लगीं। लाखों रुपये की रिश्वत लेकर नियमों के खिलाफ भर्ती मामले कोर्ट पहुंचने लगे। उधर, सरकार ने लंबे समय से नौकरी नहीं दी। 

इससे स्कूलों में शिक्षक और कर्मचारी काफी कम हो गए। तीसरे और चौथे कर्मचारी की कमी से कई स्कूलों में काम ठप पड़ा। सरकार ने सोचा कि आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती से कोई बहस नहीं होगी और कर्मचारियों की कमी भी पूरी हो जाएगी। वेतन भी कम हो जाएगा।

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