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दो दोस्तों ने मौज-मस्ती की उम्र में शुरू किया यह बिजनेस, महज ₹3 लाख से खड़ा किया ₹150 करोड़ का कारोबार

महज 3 लाख रुपये से शुरू हुए इस स्टार्टअप का टर्नओवर आज 150 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का हो चुका है. जिस उम्र में यूथ को मौज-मस्ती करना बढ़िया लगता है, उस उम्र में दो युवाओं ने चाय सुट्टा बार (Chai Sutta Bar) को शुरू किया है.

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Two friends started this business in the age of fun, created a business of ₹ 150 crore with just ₹ 3 lakh

Saral Kisan News : चाय बार..। इस स्टार्टअप (Startup) का नाम आपने भी सुना होगा। इसका नाम इतना अलग है। लेकिन सवाल ये है कि चाय, सुट्टा और बार जैसे स्टार्टअप को मंजूरी कैसे मिली? आपको बता दें कि इस स्टार्टअप का नाम सुट्टा और बार है, लेकिन उत्पाद चाय है। कई फ्लेवर की चाय भी कुल्हड़ में है। यह स्टार्टअप सिर्फ 3 लाख रुपये से शुरू हुआ था, लेकिन आज 150 करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है। दो युवा लोगों ने चाय सुट्टा बार (Chai Sutta Bar) की शुरुआत की जब युवा लोगों को मस्ती करना अच्छा लगता था। 

क्या है चाय सुट्टा बार की कहानी?

जुलाई 2016 में चाय सुट्टा बार की कहानी शुरू हुई। उस समय अनुभव दुबे और आनंद नायक के महज 22 से 23 वर्ष की उम्र थी। दोनों ने स्कूल में पहली बार मिले और वहीं से उनकी दोस्ती गहरी होती चली गई। इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उनके पिता ने अनुभव दुबे को यूपीएससी की तैयारी के लिए वापस बुला लिया। अब आनंद इंदौर में अकेले हो गए थे और एक छोटा सा मेन्स वीयर स्टोर शुरू किया। इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए उन्होंने अपने परिवार से लगभग दो लाख रुपये लिए थे। उन्हें लगभग चार साल तक इस तरह का काम करने के बाद लगा कि कुछ अलग करना चाहिए। उन्होंने चाय मार्केट में एक बड़ा गैप देखा। हाइजीनिक चाय कहीं नहीं मिलती है। आनंद ने सोचा कि चाय का व्यवसाय शुरू करना चाहिए। बाद में आनंद ने अनुभव को फोन किया और कहा कि उनकी यूपीएससी की तैयारी भी अब पूरी हो चुकी है, इसलिए वह वापस इंदौर आ जाएगा। तब अनुभव और खुशी ने मिलकर चाय का बिजनेस शुरू किया। आनंद ने मेन्स वीयर के बिजनेस से लगभग 3 लाख रुपये कमाए थे और चाय सुट्टा बार को शुरू करने में सारा पैसा लगाया था। 

चाय सुट्टा बार का नाम कैसे आया?

अधिकांश लोगों के मन में एक प्रश्न उठता है कि आखिर इसे चाय सुट्टा बार क्यों कहा गया, जबकि वहाँ सिर्फ चाय मिलती है। दरअसल, अनुभव और आनंद ने इस नाम को सिर्फ इसलिए रखा कि लोग उसे कहते हैं। वह चाहता था कि कोई अलग नाम हो, जो लोगों को उत्साहित करे और उन्हें कम से कम एक बार चाय सुट्टा बार में जाना पड़े। इसे पब्लिसिटी स्टंट कहना गलत नहीं होगा, लेकिन यह स्टंट बहुत अच्छा काम किया और आज ये बिजनेस 150 करोड़ रुपये से भी ऊपर है। अनुभव बताते हैं कि, हालांकि उनके बिजनेस का नाम बहुत लोकप्रिय हुआ है, लेकिन इस नाम की वजह से कई लोग बाहर नहीं आते हैं, जो कभी-कभी कंपनी को परेशानी भी देता है।

500 से अधिक चाय सुट्टा बार हैं इस स्टार्टअप के मौजूदा वक्त में, इसके संस्थापकों की उम्र 30 साल से ऊपर हो गई है; हालांकि, यह सिर्फ उनकी उम्र नहीं है जो बढ़ रही है। कंपनी का टर्नओवर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है क्योंकि यह उम्र बढ़ती जा रही है। इस समय करीब पांच सौ से अधिक चाय सुट्टा बार हैं। इन सभी दुकानों से कुल मिलाकर, कंपनी का टर्नओवर 150 करोड़ रुपये से अधिक है। ये आंकड़ा कंपनी के फ्रेंचाइजी और अपने बिजनेस को शामिल करता है। कम्पनी का टर्नओवर लगभग २५ से ३० करोड़ रुपये है, सिर्फ उसके स्टोर और दूसरे उद्यमों की बात करें। कंपनी भारत से बाहर भी काम करती है: दुबई, अमेरिका, कनाडा, यूके, नेपाल और लंदन।

चाय सुट्टा बार, जो उस समय दुनिया में सबसे ज्यादा कुल्हड़ चाय बेचने वाली कंपनी थी, ने कुल्हड़ में चाय बेचनी शुरू की, जो बहुत ही नवीन विचार था। आज की बात करें तो ये कंपनी लगभग पांच लाख कुल्हड़ चाय प्रति दिन बेचती है। यह कंपनी हर दिन 20 हजार लीटर से अधिक दूध खपत करती है। चाय सुट्टा बार ने कहा कि वर्तमान में उनका स्टार्टअप दुनिया में सबसे अधिक कुल्हड़ चाय बेचने वाली कंपनी है। चाय सुट्टा बार में इस कुल्हड़ ने करीब 1500 परिवारों को काम दिया है, जो कुल्हड़ बनाकर अपना घर चलाते हैं। इतना ही नहीं, कंपनी ने गरीबों और विकलांगों को भी काम दिया है। 

कपंनी का बिजनेस मॉडल क्या है?

चाय सुट्टा बार चार अलग-अलग तरीकों से पैसा कमाता है। पहला तरीका है चाय बेचना। चाय सुट्टा बार में चॉकलेट, अदरक, इलायची, मसाला, गुलाब, पान और तुलसी जैसे कई स्वादों की चाय मिलती है। व्यवसाय शुरू होने पर चाय की कीमत 7 रुपये से 30 रुपये के बीच थी। इनकी चाय अभी 15 से 35 रुपये के बीच होती है। कंपनी का कहना है कि चाय के बिजनेस में लगभग पाँच से छह सौ प्रतिशत का मर्जिन है। उसकी दुकानों में चाय के अलावा बर्गर, पास्ता, मैगी, मोमो, पिज्जा, फ्रेंच फ्राई और सैंडविच भी हैं। 

फ्रेंचाइजी फीस और रॉयल्टी फीस हैं कंपनी की कमाई का दूसरा तरीका। चाय सुट्टा बार से फ्रेंचाइजी खरीदने वाले को सेल्स का 2% रॉयल्टी फीस देना होगा। ये सब चाय सुट्टा बार प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की जिम्मेदारी में हैं। वहीं कंपनी के उत्पादों, जैसे कुल्हड़, कमाई का चौथा तरीका हैं। इसके लिए चाय सुट्टा बार ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड का गठन किया गया है। अपनी इस कंपनी से चाय सुट्टा बार की सभी फ्रेंचाइजी को कॉस्ट-टू-कॉस्ट कुल्हड़ मिलते हैं। लेकिन अगर दूसरी कंपनी उनसे कुल्हड़ खरीदती है, तो वे मुनाफा कमाते हैं।

जब वे चाय बेचने लगे, उन्होंने माँ को बताया, लेकिन पापा को नहीं बताया। वह एक दिन फेसबुक लाइव पर आया और एक मित्र ने उसे देखा और उसके पिता को बताया। तब उनके पापा अनुभव और आनंद के चाय सुट्टा बार में सीधे पहुंचे। वहाँ उन्होंने पाया कि ये चाय बेचने वाले ठेले नहीं थे, बल्कि एक बड़ा स्टोर था। तब तक चाय-सुट्टा बार में तीन बाहर निकल चुके थे। चाय बेचने की खबर सुनकर अनुभवी पिता कुछ दिन दुखी हुए, लेकिन अंततः वे समझ गए कि कोई काम छोटा नहीं होता और बिजनेस बनाया जा सकता है।

अनुभव-आनंद ने भी कई चुनौतियों का सामना किया

इस बिजनेस में पैसे की कमी सबसे बड़ी चुनौती थी। साथ ही, चाय व्यवसाय के लिए परिवार की सहायता की कमी एक और बड़ी चुनौती बन गई। माता-पिता डरते हैं कि उनके बच्चों का भविष्य कैसा होगा। जब आनंद ने बताया कि उनका पहला स्टोर 25 हजार रुपये का किराया देता था, तो परिवार के सदस्यों ने कहा कि 10 से 10 रुपये की चाय बेचकर आखिर कितना पैसा कमा लोगे? लेकिन बाद में परिवार की मदद मिलने लगी। चाय के बिजनेस में ऐसे लोग मिले, जो खुद को चुनौती देते रहे। उन्हें कभी-कभी एक नेता मिलता, तो कभी-कभी एक गुंडा उनके स्टोर में आता। सभी को अनुभव और खुशी ने हैंडल किया। अनुभव बताता है कि चाय सुट्टा बार का लक्ष्य विद्यार्थी थे; उन्हें नियंत्रित करना उतना ही कठिन था।

ये स्टार्टअप चाय सुट्टा बार अभी तक बूटस्ट्रैप है, यानी अभी तक कोई निवेश नहीं मिला है। वहीं कंपनी भविष्य में फंडिंग पर विचार कर सकती है, लेकिन यह बहुत ज्यादा स्केल करना होगा। फ्रेंचाइजी आज कंपनी का बिजनेस मॉडल है। इससे कंपनी को नए स्टोर खोलने में खर्च नहीं होता, बल्कि पैसे मिलते हैं। इससे कंपनी का कैशफ्लो पॉजिटिव बन गया है और बिजनेस भी लाभदायक है। ऐसे में कंपनी को अभी तक धन की आवश्यकता नहीं पड़ी है।

क्या योजना बनाई गई है?

चाय सुट्टा बार भी हर कंपनी की तरह आगे बढ़ने पर जोर दे रहा है। साथ ही, कंपनी कुछ उत्पादों को बेचने की योजना बना रही है। चाय के बाजार में कंपनी ने एक मजबूत पकड़ बना ली है। आनंद नायक बताते हैं कि कंपनी अब कॉफी के क्षेत्र में भी प्रवेश करना चाहती है।चाय बार..। इस स्टार्टअप (Startup) का नाम आपने भी सुना होगा। इसका नाम इतना अलग है। लेकिन सवाल ये है कि चाय, सुट्टा और बार जैसे स्टार्टअप को मंजूरी कैसे मिली? आपको बता दें कि इस स्टार्टअप का नाम सुट्टा और बार है, लेकिन उत्पाद चाय है। कई फ्लेवर की चाय भी कुल्हड़ में है। यह स्टार्टअप सिर्फ 3 लाख रुपये से शुरू हुआ था, लेकिन आज 150 करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है। दो युवा लोगों ने चाय सुट्टा बार (Chai Sutta Bar) की शुरुआत की जब युवा लोगों को मस्ती करना अच्छा लगता था। 

क्या है चाय सुट्टा बार की कहानी?

जुलाई 2016 में चाय सुट्टा बार की कहानी शुरू हुई। उस समय अनुभव दुबे और आनंद नायक के महज 22 से 23 वर्ष की उम्र थी। दोनों ने स्कूल में पहली बार मिले और वहीं से उनकी दोस्ती गहरी होती चली गई। इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उनके पिता ने अनुभव दुबे को यूपीएससी की तैयारी के लिए वापस बुला लिया। अब आनंद इंदौर में अकेले हो गए थे और एक छोटा सा मेन्स वीयर स्टोर शुरू किया। इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए उन्होंने अपने परिवार से लगभग दो लाख रुपये लिए थे। उन्हें लगभग चार साल तक इस तरह का काम करने के बाद लगा कि कुछ अलग करना चाहिए। उन्होंने चाय मार्केट में एक बड़ा गैप देखा। हाइजीनिक चाय कहीं नहीं मिलती है। आनंद ने सोचा कि चाय का व्यवसाय शुरू करना चाहिए। बाद में आनंद ने अनुभव को फोन किया और कहा कि उनकी यूपीएससी की तैयारी भी अब पूरी हो चुकी है, इसलिए वह वापस इंदौर आ जाएगा। तब अनुभव और खुशी ने मिलकर चाय का बिजनेस शुरू किया। आनंद ने मेन्स वीयर के बिजनेस से लगभग 3 लाख रुपये कमाए थे और चाय सुट्टा बार को शुरू करने में सारा पैसा लगाया था। 

चाय सुट्टा बार का नाम कैसे आया?

अधिकांश लोगों के मन में एक प्रश्न उठता है कि आखिर इसे चाय सुट्टा बार क्यों कहा गया, जबकि वहाँ सिर्फ चाय मिलती है। दरअसल, अनुभव और आनंद ने इस नाम को सिर्फ इसलिए रखा कि लोग उसे कहते हैं। वह चाहता था कि कोई अलग नाम हो, जो लोगों को उत्साहित करे और उन्हें कम से कम एक बार चाय सुट्टा बार में जाना पड़े। इसे पब्लिसिटी स्टंट कहना गलत नहीं होगा, लेकिन यह स्टंट बहुत अच्छा काम किया और आज ये बिजनेस 150 करोड़ रुपये से भी ऊपर है। अनुभव बताते हैं कि, हालांकि उनके बिजनेस का नाम बहुत लोकप्रिय हुआ है, लेकिन इस नाम की वजह से कई लोग बाहर नहीं आते हैं, जो कभी-कभी कंपनी को परेशानी भी देता है।

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