Rajasthan के इस जिले में बनेगी बाघ नर्सरी, आम आदमी को मिलेंगे कई फायदे
Saral Kisan : सरिस्का टाइगर रिजर्व की अलवर बफर रेंज पहले भी बाघों के लिए सुरक्षित थी। यहां बाघ रियासतकाल से हैं। यहां साठ के दशक तक वन्यजीवों का शिकार करने का भी अधिकार था। बाला किला क्षेत्र का जंगल फिर से बाघों की नर्सरी बनने के लिए तैयार है। सरकार लाल डायरी में कुछ नहीं बताने से क्यों घबरा रही है—शिवम गुढ़ा सरिस्का की अलवर बफर रेंज में बाघों की उपस्थिति अलवर शहर को बचाती है।
प्रदेश के इतने समीप सरिस्का की अलवर बफर रेंज है। यहां बाघों की संख्या अब छह हो गई है। यह जंगल बाघों के लिए बेहतर है। यही कारण है कि यहां रहने वाले बाघ दूसरे स्थान की तलाश नहीं करते। पूर्वी सरिस्का से आए बाघ एसटी-18 और एसटी-19 यहीं बस गए और वहाँ अपना घर बनाए। यही नहीं, चार साल से भी कम समय में यहां बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी, और बाघिन एसटी-19 ने दो बार दो बच्चों को जन्म दिया। इनमें से दो शावक करीब दो साल के हैं और आजकल अलवर शहरवासी और पर्यटकों के लिए एक आकर्षक स्थान हैं। सरिस्का की अलवर बफर रेंज में बाघों को बाला किला जंगल बहुत अच्छा लगता है। अलवर की पूर्व रियासत के वन्यजीव प्रतिपालक नरेन्द्रसिंह राठौड़ ने बताया कि बाला किला जंगल में पहले भी छह से सात बाघ रह चुके हैं।
बाघों की वृद्धि से नौकरी मिलेगी
यदि सरिस्का की अलवर बफर रेंज में बाघों की संख्या इसी तरह बढ़ती रही तो अलवर के आसपास एक नया पर्यटन हब बन सकता है। अलवरवासियों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। यहां होटल व्यवसाय तेजी से पनप सकेगा, साथ ही टैक्सी, रेस्टोरेंट और पेइंग गेस्ट कल्चर भी तेजी से पनप सकेंगे, जो लोगों को रोजगार देगा।
रेंज का दायरा बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि अलवर बफर रेंज, जो अब एक पर्यटक रूट बन गया है, में बाघों की संख्या बढ़ रही है। वर्तमान में अलवर बफर रेंज का क्षेत्रफल लगभग 350 वर्ग किमी है। इसमें सड़कें और गांव हैं, इसलिए बाघों के विचरण का क्षेत्र छोटा है। यहाँ छह बाघ हैं। इस रेंज का दायरा बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि यह आगामी समय में तेजी से बढ़ने की संभावना है। साथ ही अलवर बफर रेंज में स्थित गांव भी विस्थापन की योजना में नहीं है।
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