उत्तर प्रदेश के इन जिलों में बनाएं जाएंगे 3 नए एक्सप्रेसवे, फर्राटा भर सकेंगे वाहन

Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों से एक्सप्रेस वे में बहुत आगे है। सरकार की पहली प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से एक में नए एक्सप्रेस वे के प्रस्ताव तेज हो गए हैं। इसके अंतर्गत लखनऊ-नानपारा एक्सप्रेस वे, झांसी से कुशीनगर वाया कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेस वे और कानपुर-आगरा एक्सप्रेस वे की रिपोर्ट बनाई जा रही है। एक्सप्रेस वे सभी को पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के तहत बनाने की योजना है।
यूपीडा ने निजी सहयोग से लखनऊ-बाराबंकी-नानपारा लिंक एक्सप्रेस वे का निर्माण किया है। एक्सप्रेस-वे रिपोर्ट और अनुशंसित योजना पर काम शुरू हो गया है। इसके पर्यावरणीय प्रभावों की जांच की जा रही है। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे की फिजिबिलिटी की जांच की जा रही है। वे यमुना नदी के किनारे से इस ट्रेन से गुजरेंगे।
झांसी-कानपुर-लखनऊ-गोरखपुर-कुशीनगर एक्सप्रेस भी राज्य की पूर्वी और दक्षिणी सीमाओं को जोड़ेगा। औद्योगिक विकास विभाग ने इस संबंध में बहुत पहले प्रस्ताव जारी किया था। यूपीडा को भी बेतवा और घाघरा से गुजरने वाली रेलवे परियोजनाएं दी गई हैं। लखनऊ से मुरादाबाद वाया बरेली जाने वाली एक्सप्रेस वे की भी बहुत मांग है। इस एक्सप्रेस वे का उद्देश्य पूर्वी उत्तर प्रदेश को पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जोड़ना है।
68% बनकर तैयार हुआ, गंगा एक्सप्रेस वे
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे, पूर्वांचल एक्सप्रेस वे और यमुना एक्सप्रेस वे वर्तमान में चल रहे हैं। 68% गंगा एक्सप्रेस वे बन गया है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे लगभग पूरी तरह से तैयार हो गया है। चित्रकूट-जालौन एक्सप्रेस वे और झांसी-जालौन एक्सप्रेस वे मंजूर हैं। साथ ही, आठ लेन की अपनी गंगा कैनाल एक्सप्रेस वे की फाइल का अध्ययन 8700 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। यह एक्सप्रेस वे बुलंदशहर के सनौता पुल से मुजफ्फरनगर के पुरकाजी तक ऊपरी गंगा नहर के किनारे से निकलेगा, जो उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड सीमा से पहले होगा।
अन्य राज्यों की कनेक्टिविटी में होगा, सुधार
इस तरह के एक्सप्रेस वे से उत्तर प्रदेश में एक छोर से दूसरे छोर तक जाने में आधी से भी अधिक समय बच जाएगा। अन्य राज्यों के लिए भी कनेक्टिविटी सुविधाजनक होगी और समय बचेगा। इससे लाजिस्टिक्स और यात्री वाहन दोनों लाभ उठाएंगे। जिन कृषि उत्पादों की लाइफ सर्किल कम है, उनका पहुंच का दायरा तीन गुना अधिक दूरी तक पहुंच जाएगा, जिससे उन्हें फसल की कीमत अच्छी मिलेगी।