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चंदन से भी 100 गुना महंगी है यह लकड़ी, 5-6 किलो में हो जाएगा एक बढ़िया गाड़ी का जुगाड़!

भारतीय लोग अक्सर चंदन को सबसे मूल्यवान लकड़ी मानते हैं, पर वास्तविकता में ऐसा नहीं है। दुनिया में एक लकड़ी है जिसका मूल्य चंदन से 100 गुना अधिक है। यह लकड़ी है "अफ्रीकन ब्लैक वुड" (African Blackwood)। चंदन की कीमत प्रति किलो 7 से 8 हजार रुपये के बीच होती है
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This wood is 100 times more expensive than sandalwood, a good car can be made in 5-6 kg!

Most expensive wood in the world: हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में घर या बाहर, हम कई लकड़ियों से बनी चीजों का उपयोग करते हैं, जिनमें सोफा, बेड, अलमारी, और दरवाजे शामिल होते हैं। पेड़ों की विविधता के आधार पर, उनकी कीमतें भी अलग-अलग होती हैं। अगर सबसे महंगी लकड़ी की बात की जाए, तो लोग अक्सर कहते हैं कि चंदन की लकड़ी सबसे महंगी होती है, खासकर लाल चंदन। भारत में लोगों को ऐसा विचार रहता है, लेकिन यह हकीकत नहीं है, क्योंकि चंदन दुनिया की सबसे महंगी लकड़ी नहीं है।

चंदन से 100 गुना महंगी है अफ्रीकन ब्लैक वुड

भारतीय लोग अक्सर चंदन को सबसे मूल्यवान लकड़ी मानते हैं, पर वास्तविकता में ऐसा नहीं है। दुनिया में एक लकड़ी है जिसका मूल्य चंदन से 100 गुना अधिक है। यह लकड़ी है "अफ्रीकन ब्लैक वुड" (African Blackwood)। चंदन की कीमत प्रति किलो 7 से 8 हजार रुपये के बीच होती है, वहीं, अफ्रीकन ब्लैक वुड की कीमत प्रति किलो 7-8 लाख रुपये है। यह लकड़ी धरती पर मौजूद सबसे मूल्यवान सामग्री में से एक मानी जाती है। इसकी 1 किलो की कीमत में आप एक कार खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे खर्च कर सकते हैं।

इसका तैयार होने में लगते हैं 60 साल

अफ्रीकन ब्लैक वुड का पेड केवल 26 देशों में पाया जाता है, और यह मुख्य रूप से अफ्रीकी महाद्वीप के मध्य और दक्षिणी भागों में ही विकसित होता है। इस पेड की औसत लंबाई 25 से 40 फीट होती है और इसका पूर्ण विकास होने में 60 साल लगते हैं। हालांकि, इसकी संख्या में कमी होने से इसकी कीमत में बढ़ोतरी हो रही है।

विविध उपयोग के लिए योग्य है अफ्रीकन ब्लैक वुड

अफ्रीकन ब्लैक वुड से शहनाई, बांसुरी और अन्य संगीत वाद्ययंत्र बनाए जाते हैं, और इसका उपयोग फर्नीचर बनाने में भी होता है। इसके फर्नीचर महंगे होते हैं और अमीर लोग इसे घरों की सजावट के लिए उपयोग करते हैं। इस विशेष लकड़ी की मांग बढ़ रही है जिसके कारण इसकी तस्करी भी बढ़ रही है। कुछ देशों में इन पेडों को बचाने के लिए हथियारबंद जवान भी तैनात हो गए हैं।

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