दुनिया की इस ट्रेन को चलने के लिए नहीं पड़ती पटरी की जरूरत, 70 की स्पीड में बिना ड्राइवर के लगाती है दौड़
Indian Railway Interesting Facts : ट्रेन से आपने कभी ना कभी सफर जरूर किया होगा और ट्रेन का सफर हर किसी को पसंद होता है। क्योंकि ट्रेन का सफर काफी आरामदायक और सस्ता होता है। ट्रेन को अक्सर पटरियों पर दौड़ते हुए देखा जाता है। लेकिन आज हम आपको ऐसी ट्रेन के बारे में बताने वाले हैं, जो बिना पटरी के भी दौड़ सकती है। आज हम आपको ऐसी ट्रेन के बारे में बताएंगे जो डामर से बनी सड़क पर कार और बसों के बराबर चलती हुई दिखाई देगी। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि ऐसा कैसे हो सकता है।
बिना पटरी वाली ट्रेन
आप भी सुनकर हैरान रह गए होंगे लेकिन यह पूरी तरह सच्चाई है। बिना पटरी के चलने वाली ट्रेन काफी रफ्तार से दौड़ती है। हालांकि यह ट्रेन भारत में नहीं चलती है। 2 साल की टेस्टिंग के बाद इस ट्रेन को साल 2019 में शुरू किया गया था। इस ट्रेन का संचालन चीन में किया जाता है।
कैसे चलती है बिना पटरी वाली ट्रेन
इस ट्रेन को स्टील और आयरन की बजाय ट्राम बस हाइब्रिड डामर पर सफेद रंग की बनाई गई पटरियों पर चलाया जाता है। इसका मतलब होता है कि ऐसा साधन जो रेलवे और बसों के बीच संयोजन बनाए रखता है। इसे ऐसी ट्रेन बोला जा सकता है, जो बसों की तरह सड़कों पर चल सकती है।
कितनी मिलती है रफ्तार
CRRC कॉर्पोरेशन द्वारा इस ट्रेन का निर्माण किया गया है। इस ट्रेन को ड्राइवरलेस बनाया गया है, लेकिन दुर्घटनाओं से बचने के लिए इसमें एक ड्राइवर भी रखा जाता है। ट्रेन की रफ्तार 70 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है। ट्रैक पर चलने वाली ट्रेनों की तुलना में है काफी हल्की होती है। ट्रेन पटरी की बजाय कारों और बसों के बीच सड़कों पर दौड़ने वाली इस ट्रेन के पहिए रबड़ के बनाए जाते हैं।
कितने यात्री कर सकते है सफर
सड़कों पर चलने वाली ट्रेन में तीन बोगियां लगाई जाती है। जिसकी करीबन 32 मीटर लंबाई होती है और 300 यात्रियों को ले जाने में सक्षम होती है। इसके साथ-साथ इसमें ऑप्शन दिया गया है कि जरूरत पड़ने पर दो बोगियां और जोड़ी जा सकती है। इस ट्रेन में 500 लोग एक साथ सफर कर सकते हैं।
खर्च आयेगा इतना
इस ट्रेन में डीजल पेट्रोल का खर्चा नहीं आता। क्योंकि इस ट्रेन को लिथियम टाइटनेट बैटरी से चलाया जाता है। इसे एक बार फुल चार्ज करने पर 40 किलोमीटर तक चलाया जा सकता है। इस ट्रेन में दोनों तरफ हेड सिस्टम दिया जाता है। जिसकी वजह से यू टर्न लेने की जरूरत नहीं पड़ती है। इस ट्रेन में ट्रैक की जरूरत नहीं होने की वजह से लागत ज्यादा नहीं आती है।
इसके साथ-साथ इसमें रखरखाव का खर्चा भी कम आता है। इसके नॉर्मल बैटरी बनाने के लिए 1 किलोमीटर का खर्च करीबन 15 से 25 करोड़ रुपए तक आता है।