देश का यह थर्मल प्लांट बनेगा आधुनिक, नई तकनीक से बनेगी बिजली
दीनबंधु सर छोटूराम थर्मल प्लांट में 800 मेगावाट की नई यूनिट बनाई जाएगी, जो पूरी तरह से भारत में बनाई जाएगी, यानी यह पूरी तरह से स्वदेशी होगा। वर्तमान में 300 से 300 मेगावाट की इकाइयों में चाइना से बनाई गई मशीनरी का उपयोग होता है।
Saral Kisan - दीनबंधु सर छोटूराम थर्मल प्लांट में 800 मेगावाट की नई यूनिट बनाई जाएगी, जो पूरी तरह से भारत में बनाई जाएगी, यानी यह पूरी तरह से स्वदेशी होगा। वर्तमान में 300 से 300 मेगावाट की इकाइयों में चाइना से बनाई गई मशीनरी का उपयोग होता है, लेकिन नई इकाई की मशीनरी स्वदेशी होगी और नवीनतम होगी। बताया जा रहा है कि राज्य में ऐसा पहला प्लांट होगा। 800 मेगावाट की इस नई इकाई का निर्माण दो महीने में शुरू हो जाएगा। वर्तमान में 600 मेगावाट के एक प्लांट पर 2400 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, जबकि इस प्लांट को बनाने में लगभग छह हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
छोटे कूलिंग टॉवर और चिमनियां तेजी से बिजली बनाएंगे और प्रदूषण कम होगा।800 मेगावाट की नई यूनिट में नई तकनीक बहुत अच्छी होगी। कूलिंग टॉवर और चिमनियां छोटे होंगे, जो इसे खास बनाएगा। इससे तेजी से बिजली बनाई जाएगी और प्रदूषण कम किया जाएगा। इसके लिए चार सौ केवी की एक अलग लाइन बिछाई जाएगी। यह भी युवा लोगों को काम देगा। केंद्र सरकार ने झारखंड की जगह यमुनानगर में इस 800 मेगावाट प्लांट को लगाने की अनुमति दी है। नया प्लांट लगने से जिले में 1400 मेगावाट बिजली बनाई जाएगी।
प्लांट के लिए यह विशिष्ट
एचपीजीसीएल कोयला से निर्मित दीनबंधु छोटू राम थर्मल पावर प्लांट एक है। रिलायंस एनर्जी लिमिटेड और शंघाई इलेक्ट्रिक ने मिलकर इसे बनाया। 2005 में, तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडा ने परियोजना को मंजूरी दी थी। 2005 से 2008 तक यह बनाया गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने 2004 में भी थर्मल पावर प्लांट का शिलान्यास किया था, लेकिन तब यह सिर्फ कागजों में था।
अधिकारी का कहना है
800 मेगावाट की एक इकाई पूरी तरह से नवीन होगी। नई तकनीक से बिजली बनाना सस्ता होगा। टेंडर प्रक्रिया करीब दो महीने के भीतर पूरी होने के बाद इसका निर्माण शुरू हो जाएगा। भारत में निर्मित मशीनरी का इस्तेमाल होगा। राजीव गुप्ता, यमुनानगर के दीनबंधु सर छोटूराम थर्मल पावर प्लांट का प्रमुख इंजीनियर है।
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